अमन वर्मा (जन की बात)
कोरोना वायरस को रोकने के लिए देश भर में 23मार्च से लॉकडाउन लगा हुआ था। इस बीच जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लॉकडाउन में जन की बात की टीम, देश भर के 10 राज्यों में अब तक घूम चुकी है। इसी बीच हमारी टीम उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में पहुंची और वहां की जनता से बात किया। हमने जनता से कई मुद्दों पर चर्चा किया, जिनमे स्वस्थ, आर्थिक और जन कल्याण के मुद्दे शामिल थे।
पूर्वी उत्तर प्रदेश मे जन जी बात की टीम, गाज़ीपुर, बलिया, बनारस और मऊ में गयी। शुरुआती दिनों में गाज़ीपुर जिले में कोरोना का कहर कुछ खास नही था, यहाँ मात्र 7 संक्रमित व्यक्ति थे, जो तबलीगी जमात से जुड़े थे। मगर संक्रमितों की संख्या तब बढ़नी शुरू हो गयी जब यहाँ प्रवासी मज़दूर आए। लॉकडाउन पर जनता की राय एक समान थी। सभी ने एक स्वर में देशव्यापी लॉकडाउन का समर्थन किया। आर्थिक मुद्दों पर लोग परेशान दिखे, मगर साथ ही उन्होंने ये भी माना कि इस महामारी से बचने का और कोई विकल्प नही था। जनता ने राज्य और केंद्र सरकार के सभी प्रयासों को काफी सराहा, सुजावलपुर, देवकठियाँ में हमें वो मज़दूर भी मिले जिन्हें योगी सरकार की तरफ से ‘श्रमिक योजना’ के तहत धनराशि भी प्राप्त हुई, साथ ही महिलाओं को खाते में 500₹ की धनराशि भी मिली। लॉकडाउन 3 के अंतिम चरण में यहाँ दुकानों को खोलने की कुछ ढिलाई जिला प्रशासन द्वारा दी गयी थी। जिनमें अलग अलग दिनों पर अलग-अलग दुकानों को खोलने का आदेश था।
वाराणसी की स्तिथि पहले काफी ज़्यादा गंभीर थी। यहाँ कई कंटेन्मेंट जोन बनाये गए थे। मगर जिले में शुक्रवार से लगातार दूसरे दिन कोई नया कोरोना संक्रमित मामला सामने नहीं आया है। शहर के सी.एम.ओ डॉ. वी.बी सिंह से संवाद के दौरान उन्होंने बताया कि परीक्षण के लिए शुक्रवार को 52 से अधिक सैंपल लिए गए थे। जिले में अब तक 2,787 सैंपल एकत्र किए गए हैं, जिनमे से 2,548 सैम्पल की रिपोर्ट प्राप्त हो गए हैं, जबकि 239 सैंपल के परिणामों की प्रतीक्षा है। कुल परीक्षा परिणामों में से, 2,471 ने नेगेटिव परीक्षण किया और 77 लोगो का कोरोना पॉजिटिव रिजल्ट आया। अब तक 21 मरीज बीमारी से उबर चुके हैं, और वर्तमान में जिले में 55 सक्रिय मामले हैं। 26 हॉटस्पॉटों में, बजरडीहा, गंगापुर, और लोहता सहित तीन हॉटस्पॉट ग्रीन ज़ोन में स्थानांतरित हो गए जबकि नखिघाट ऑरेंज जोन में है। वाराणसी में अब दुकाने वापस खुलने लगी हैं। मगर नियम व शर्तों के साथ अब वहाँ रोड की दोनों तरफ की दुकानें अलग अलग दिन खुल रहे हैं।
बलिया जिले में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया था। लॉकडाउन को बलिया के लोगो का भरपूर समर्थन मिला, यहाँ लोगो के समर्थन के कारण कोरोना को रोक पाना मुमकिन था। यहाँ लोगों से बात करने पर पता चला की मास्क और सेनेटाइजर अब ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन चुका है, गांव के बारे में एक खास बात ये थी कि यहाँ पर किसी ने भी लॉकडाउन में भूखे सोने या घर मे खाना न होने की शिकायत नही की थी। इससे ये साफ पता चलता है कि गाओं में सोशल दिस्तानसिंग तो है पर इमोशनल दिस्तानसिंग नही।