देश में कोरोना मामलों की संख्या तीन लाख के करीब पहुंचने वाली है। अगर बात करे कोरोना टेस्ट की तो देशभर में 11 जून तक 52,13,140 टेस्ट किए जा चुके हैं।
कोरोना मामलों से जुड़े हर एक बड़े फैसले ICMR लेता है। ICMR ही तय करता है कि कौन सी लैबोरेट्री इस टेस्ट को करने में सक्षम है और उसकी कितनी कीमत होनी चाहिए।
अलग-अलग राज्यों को यह तय करने की आजादी है कि वह कितने टेस्ट अपने राज्य में करते हैं।
राज्यों की जिम्मेदारी बनती है कि वह राज्य स्तर के अस्पतालों में कोरोना से जुड़े टेस्ट की संख्या और उससे जुड़ी सामग्री को सुनिश्चित करें।
हमने देश के विभिन्न राज्यों को उनकी जनसंख्या के हिसाब से तुलना करने की कोशिश की हैं। इस तुलना में हमने वहां पर किए गए टेस्ट और वहाँ की जनसंख्या के अनुपात का आकलन किया।
चुने हुए राज्यों में देश के मुख्य 10 जनसंख्या वाले राज्य शामिल है। साथ ही दिल्ली और केरल जैसे राज्यों को भी शामिल किया है, क्योंकि दिल्ली में जहां लगातार कोरोना के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं तो वहीं केरल जैसे राज्य ने सबसे पहले नियमों का सख्ती से पालन करने की वजह से कोरोना के मामलों को बहुत हद तक काबू करने में सफलता हासिल की है।
किस राज्य ने अपनी जनसंख्या के हिसाब से मारी बाजी ?
हमारे देश की कुल आबादी 130 करोड़ के करीब है और देश में 10 जून तक कुल 5213140 कोरोना टेस्ट किए जा चुके हैं। अगर इन दोनों का अनुपात निकाले तो देश में 239 लोगों पर एक टेस्ट किया जा चुका है।
अगर बात करे राज्यों की तो पहले के 10 राज्य जिनकी आबादी 5 करोड़ या उससे ऊपर हैं उनमें आंध्र प्रदेश ने सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए हर 98 लोगों पर एक टेस्ट किया है।
तो वहीं बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब बना हुआ है, जहां 940 लोगों के मुकाबले सिर्फ एक टेस्ट किया जा रहा है।
उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश इन राज्यों की औसत भी राष्ट्रीय स्तर से काफी पीछे हैं।
अगर पूरे देश की बात करें तो तेलंगाना का औसत 1494 लोगो में सिर्फ 1 टेस्ट होने की पुष्टि करता है, जो काफी खराब है।
अपने जनसंख्या के लिहाज से तमिलनाडु, राजस्थान और गुजरात ये वो मुख्य राज्य है जिनका राष्ट्रीय औसत के मुकाबले प्रदर्शन काफी ज्यादा अच्छा रहा है।
वहीं बात करें दिल्ली की, जहां पर जनसंख्या तो कम है लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से अपने घनी आबादी के कारण कोरोना का संक्रमण फैलने की गति तेज बनी हुई है। दिल्ली के हर 71 लोगों में l एक का टेस्ट किया जा चुका है जो पूरे देश मे सबसे ज्यादा है।
लेकिन दिल्ली जैसे महानगर में आबादी का सही आकलन लगाना भी बहुत मुश्किल है जिसकी वजह से अनुपात में फर्क पड़ सकता है।
इस तुलना का मकसद यह जानना था कि राज्य सरकार अपने स्तर पर किस तरह से कोरोना से जुड़े कदम उठा रही हैं और साथ ही वहां पर स्वास्थ्य सुविधा के क्या हालात बने हुए हैं।
देश में जब तक लॉकडाउन था तब तक अलग-अलग राज्यों के क्षेत्रफल के हिसाब से जनसंख्या का अनुपात और कानूनी सख्ती से कोरोना फैलने की गति को रोका जा सकता था। लेकिन अब जब काम-धंधे के लिए लोग घर से बाहर निकल रहे हैं तो सिर्फ राज्यों की स्वास्थ्य व्यवस्था ही मामलों को संभाल सकती है।