भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को हिसंक झड़प हुई। जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए। वहीं खबरों के अनुसार चीन के भी 43 सैनिक मारे जाने और घायल होने की खबर है। वैसे तो भारत चीन के 4056 किलोमीटर की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) है। यहां पर यह जाना जरूरी है कि चीन ने भारत से भिड़ंत के लिए गलवान घाटी को ही क्यों चुना?
भारत वर्तमान समय में बॉर्डर के इलाकों में तेजी से सड़क विकसित कर रहा है। हाल के वर्षों में देखा जाए तो भारत ने असम में धोला – सादिया पुल हो, या फिर भारत का असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल प्रदेश के पीसाघाट को जोड़ने वाला बोगीबील पुल हो, या फिर नेपाल के पास बनी लिपुलेख पास की सड़क हो। भारत चीन से सटे बॉर्डर के इलाकों में तेजी से इंफ्रस्ट्रक्चर को मजबूत कर रहा है। ऐसा ही एक प्रोजेक्ट भारत दर्बुक- श्योक – दौलत बेग ओल्डी नामक सड़क बना रहा है। इस सड़क की खासियत यह है कि यह सड़क भारत और चीन सीमा के बिल्कुल बराबर में बनाई जा रही है।
इस सड़क की कुल लंबाई 255 किलोमीटर है। यह सकड़ लद्दाख को सीधा दौलत बेग ओल्डी से जोड़ेगी। दौलत बेग ओल्डी में भारत समेत दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप भी है। दौलत बेग ओल्डी वही इलाका है जो भारत को अक्साई चीन पठार तक पहुंचा देता है।
पिछले ही साल अक्टूबर में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कर्नल चेवांग रिंचेन पुल का भी उद्घाटन किया था ,जो कि भारत का सबसे ऊंचा पुल है।
इस सड़क निर्माण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी का सफर 2 दिन से घटकर केवल 6 घंटे का रह जाएगा।
इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा ( दर्बुक – श्योक) गलवान घाटी से होकर निकलता है। वहीं पर अभी दोनों सेनाएं एक दूसरे के सामने डटी हुई है।
आखिर चीन क्यों भारत को दौलत बेग ओल्डी नहीं पहुंचने देना चाहता?
भारत के दौलत बेग ओल्डी को लद्दाख से सीधे जुड़ने पर, भारत की सीधी पहुंच सड़क मार्ग द्वारा अक्साई चीन पठार तक हो जाएगी। अभी केवल वायु मार्ग के द्वारा ही दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचा जा सकता है। दौलत बेग ओल्डी चीन सीमा से केवल 10 किलोमीटर दूर है। भारत के वहां सड़क बनाने से भारत चीन के साथ तिब्बत एक्सिंजिहंग हाईवे पर नजर रख पाएगा। यह वही इलाका है जहां पर पाकिस्तान और चीन की सीमा एक साथ मिलती है।