बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने एक निजी टीवी चैनल पर इंटरव्यू देते हुए कहा कि मुंबई पुलिस बिहार पुलिस के जवानों के साथ सहयोग नहीं कर रही है। डीजीपी ने आगे बताते हुए बोला कि मैं पुलिस की मर्यादा का ध्यान रखते हुए चुप रहा, हमारे अफसरों को मुंबई पुलिस वैन में बैठा कर ले जाती है। जिससे हमारे जवान मीडिया से नहीं मिल पाए। जब हमारे अफसर डीसीपी से मिलने जाते हैं तो पूरा दफ्तर उन्हें खाली मिलता है। हमारे अफसर पांच 5 घंटे इंतजार कर कर आ जाते है। उन्होंने कहा कि हमारे बिहार में कोई भी प्रदेश की पुलिस साबित कर दें, कि हमने उन्हें किसी भी केस की जांच में सहयोग ना किया हो। जब मुझे लगा जो हमारे अफसर मुंबई गए है वह छोटे स्तर के पदाधिकारी है। तो शायद मुंबई के बड़े अधिकारी और हमारे इंस्पेक्टर के बीच एक कम्युनिकेशन गैप है। तो इसीलिए मैंने पटना से एक बड़े आईपीएस अफसर को भेजा। जिससे इस कम्युनिकेशन गैप को भरा जा सके। हमने मुंबई पुलिस को चिट्ठी लिखकर आईपीएस विनय तिवारी के लिए आईपीएस मैस में रूम दिलाने की बात की थी। लेकिन उनके द्वारा उन्हें कोई रूम नहीं दिया गया। जब विनय तिवारी मुंबई एयरपोर्ट से उतर कर एक अन्य गेस्ट हाउस में रुके। तो रात को 11:00 बजे बीएमसी ने उन्हें फोन किया और उन पर 15 अगस्त तक क्वॉरेंटाइन रहने को कहा गया।
सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या केस में जांच करने मुंबई गए, पटना सिटी एसपी विनय तिवारी को 15 अगस्त तक क्वॉरेंटाइन रहने के लिए बीएमसी ने कहा है। आपको बता दें, कि पटना सिटी एसपी विनय तिवारी मुंबई सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या केस की जांच टीम को लीड करने के लिए कल मुंबई रवाना हुए थे। यही नहीं बीएमसी ने विनय तिवारी के हाथ पर 15 अगस्त तक क्वॉरेंटाइन देने की मुहर भी लगाई है।
*क्वॉरेंटाइन से पैदा होता संदेह*
यहां पर यह जानना बेहद जरूरी है कि जब मुंबई में पहले बिहार पुलिस के 4 जवान गए थे तो उन्हें क्यों नहीं क्वॉरेंटाइन किया गया। और मुंबई पुलिस द्वारा उन्हें जांच में सहयोग ना करना। अभी तक मुंबई पुलिस द्वारा बिहार पुलिस को सुशांत सिंह राजपूत केस में घटनास्थल की वीडियोग्राफी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट फॉरेंसिक रिपोर्ट नहीं मुहैया कराई गई है।
*पांच कारणों से मुंबई पुलिस पर संदेह गहराता जा रहा है।*
1. जब रिया चक्रवर्ती से इस केस के तार जोड़ने लगे, तो रिया चक्रवर्ती देश के सबसे बड़े क्राइम वकील सतीश मानशिंदे को हायर करती है। यही वकील महाराष्ट्र सरकार को पालघर साधु लिंचिंग केस में रिप्रेजेंट करते है।
*दूसरी तरफ महाराष्ट्र के किसी बड़े नेता का इस केस में हाथ होने की बात आ रही है। तो बिहार से भेजे जा रहे बड़े पुलिस अफसरों को क्वॉरेंटाइन किया गया है।
3. जिस तरीके से शनिवार को बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने मीडिया से बात करते हुए यह स्वीकारा था कि बिहार पुलिस के जवान मुंबई डीसीपी क्राइम से टाइम लेकर उनसे इस केस की तहकीकात के लिए मिलने गए थे तो वह बिहार पुलिस के जवानों से मिले ही नहीं।
4. मुंबई पुलिस द्वारा इस केस में एक भी एफ.आई.आर दर्ज ना करना ।
5.सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि कि जब बिहार पुलिस सुशांत सिंह राजपूत की एक्स मैनेजर दिशा सालियन के केस की फाइल मुंबई पुलिस से मांगती है तो मुंबई पुलिस कहती है कि दिशा सालियन की फाइलें उनके लैपटॉप से गलती से डिलीट हो गई। लेकिन जब बिहार पुलिस ने मुंबई पुलिस से कहा कि आप हमें केवल लैपटॉप दे दीजिए फाइलें रिकवर कर लेंगे। तो मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस को लैपटॉप देने से साफ इनकार कर दिया।