बीते 2 महीने से चले आ रहे राजस्थान के सियासी नाटक का आज समापन होता दिखाई दे रहा है सचिन पायलट की कांग्रेस में वापसी के साथ ही राजस्थान में लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक संकट के बादल अब साफ होते दिखाई दे रहे हैं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा हैं कि, वह पायलट खेमे की ओर से उठाई गई शिकायतों को सुनेंगे। आपको बता दें कि, पायलट की पार्टी में वापसी उनकी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात में तय हुई।
क्या कांग्रेस के लिए मजबूरी थी पायलट की वापसी
पायलट की वापसी से कांग्रेस एक तीर से कई निशाने साधने में लगी हुई हैं एक तरफ राजस्थान तो दूसरी तरफ यूपी। प्रियंका साल 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों के लिए भी जमीन तैयार कर रही हैं। राज्य में करीब 55 फीसदी सीटें गुर्जर समुदाय के प्रभुत्व वाली हैं, जहां पायलट का प्रभाव अच्छा है। इस लिहाज से पायलट जरूरी थे।
यूपी राजस्थान ही नही मध्यप्रदेश में भी है पायलट का राजनीतिक वर्चस्व
राजस्थान यूपी ही नहीं मध्यप्रदेश में भी सचिन पायलट का राजनीतिक वर्चस्व किसी से छुपा हुआ नहीं है मध्य प्रदेश की 14 सीटों की राजनीति गुर्जर राजनीति के आसपास से घूमती दिखाई देती है।
इस लिहाज से कांग्रेस व राजस्थान के लिए सचिन पायलट काफी अहम हो जाते है। यही नहीं हरियाणा दिल्ली और उत्तरी भारत के कई विधानसभा क्षेत्रों में गुर्जर समुदाय बहुमत में है।