अमन वर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपने ट्वीट के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले में सजा के लिए सुनवाई 20 अगस्त को होगी।
क्या है पूरा मामला?
27 जून को अपने एक ट्वीट में, प्रशांत भूषण ने पिछले 6 वर्षों के दौरान लोकतंत्र के “विनाश” में “सुप्रीम कोर्ट की भूमिका” के बारे में लिखा था, और इसमें “अंतिम 4 सीजेआई की भूमिका” का भी उल्लेख किया था।
एक अन्य ट्वीट में, 29 जून को, भूषण ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एस.ए बोबडे पर हार्ले डेविडसन बाइक के लिए टिप्पणी की। उन्होंने बिना हेलमेट और फेस मास्क के बाइक चलाने के लिए CJI पर टिप्पणी की थी, और कहा था कि “वह SC को लॉकडाउन मोड में रख कर ये कर रहे हैं”।
पीठ ने अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल, को इस मुद्दे पर उनकी राय भी मांगी। शीर्ष अदालत ने जहां प्रशांत भूषण के खिलाफ मंगलवार को मुकदमा दायर किया था, वहीं मध्य प्रदेश के वकील महेश माहेश्वरी ने भी भूषण और ट्विटर के खिलाफ 2 जुलाई को याचिका दायर कर भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की थी।
माहेश्वरी की याचिका ने भूषण की टिप्पणी को “बहुत ही अमानवीय” कहा था, और यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायाधीशों के प्रयासों पर प्रकाश डाला था कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई की जा रही थी। याचिका में कहा गया है कि ट्वीट ने “सीजेआई के संप्रभु कार्यों और संविधान के प्रति उनके पालन करने के स्वभाव” पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है ।
माहेश्वरी ने ट्वीट को “भारत विरोधी अभियान के रूप में नफरत फैलाने के लिए एक सस्ता प्रचार स्टंट” भी कहा था।