यूपी पुलिस ने गाजियाबाद के लोनी की फेक न्यूज की घटना को लेकर ट्वीटर समेत 9 लोगों पर एफआईआर किया है। आपको बता दें कि धार्मिक उन्माद फैलाने के संबंध में एफआईआर की गई है। यूपी पुलिस की एफआईआर में मोहम्मद जुबैर, पत्रकार राना अयूब, द वायर (न्यूज पोर्टल), कांग्रेस नेता सलमान निजामी , कांग्रेस नेता मसकूर उस्मानी, कांग्रेस प्रवक्ता समा मोहम्मद, पत्रकार सबा नकवी, ट्विटर और ट्विटर कम्यूनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम शामिल हैं।
इन सभी लोगों पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगा है और यूपी पुलिस के स्पष्टीकरण के बाद भी इन्होंने धार्मिक उन्माद फैलाने वाले अपने ट्वीट को डिलीट नहीं किया जिसके कारण यूपी पुलिस ने इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया। यूपी पुलिस का मानना है कि इन 9 लोगों ने भ्रमित और झूठी सूचना फैलाई जिससे धार्मिक उन्माद फैल सकता था इस कारण इन पर एफआईआर दर्ज किया गया है।
ट्विटर पर मामला दर्ज
आपको बता दें कि टि्वटर कम्युनिकेशन और टि्वटर इंडिया पर भी एफआईआर दर्ज किया गया है। एफआईआर में ट्विटर पर आरोप लगाया गया है कि ट्विटर इंडिया और ट्विटर कम्यूनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से भी उन ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए जबकि यूपी पुलिस ने स्पष्टीकरण दे दिया था। ट्वीटर के खिलाफ आईपीसी की धारा 153, 153A, 505, 120B 295A, 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
योगी ने राहुल को दिया करारा जवाब
आपको बता दें कि घटना को लेकर राहुल गांधी ने भी उत्तर प्रदेश सरकार को घेरने की कोशिश की। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने राहुल गांधी को करारा जवाब दिया। राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा,” मैं ये मानने को तैयार नहीं हूँ कि श्रीराम के सच्चे भक्त ऐसा कर सकते हैं।ऐसी क्रूरता मानवता से कोसों दूर है और समाज व धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है।”
राहुल गांधी के इस ट्वीट का यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब देते हुए लिखा, “प्रभु श्री राम की पहली सीख है-“सत्य बोलना” जो आपने कभी जीवन में किया नहीं। शर्म आनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी आप समाज में जहर फैलाने में लगे हैं। सत्ता के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना, उन्हें बदनाम करना छोड़ दें।”
क्या था मामला?
आपको बता दें कि मामला गाजियाबाद के लोनी का है। जहां पर एक मुसलमान बुजुर्ग की कुछ लोग पिटाई कर रहे थे और वह उन्हें रोक रहा था, लेकिन वे लोग पिटाई किए जा रहे थे। इसके बाद में जिन लोगों पर एफआईआरदर्ज की गई है यह लोग और अन्य नेताओं ने इस घटना को धार्मिक मोड़ दे दिया और लिखा कि यह लोग उस बुजुर्ग को जय श्री राम बोलने के लिए कह रहे थे। बाद में गाजियाबाद पुलिस ने मामले को संज्ञान में लिया। फिर बाद में जांच में पता चला कि जो लोग बुजुर्ग की पिटाई कर रहे थे वह उनके जानने वाले थे और उन्होंने बुजुर्ग व्यक्ति से ताबीज ली थी और बाद में सकारात्मक परिणाम ना मिलने पर वह लोग बुजुर्ग की पिटाई कर रहे थे।