जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने पंजाब चुनाव के पहले बड़ा सर्वे प्रस्तुत किया। आपको बता दें यह सर्वे 27 अगस्त से 3 सितंबर के बीच किया गया है। इस सर्वे के लिए पंजाब के अलग अलग हिस्सों से 10,000 लोगों से राय ली गई है।
आने वाले साल 2022 के शुरुआत के महीनों में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसमें पंजाब भी शामिल है। आपको बता दें कि वर्तमान में पंजाब में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हैं। पिछले कुछ महीनों से पंजाब राजनीति के लिहाज से हमेशा चर्चा का विषय बना रहा है ,क्योंकि वहां पर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के बीच खींचतान चल रही है। आपको बता दें कि इंडिया न्यूज़ – जन की बात ने पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर सर्वे किया और पता किया कि अगर अभी चुनाव हो जाए तो राज्य में किसकी सरकार बनेगी और कौन सबसे अधिक लोकप्रिय हैं? सिद्धू कैप्टन विवाद को सुलझाने में नाकाम रहे राहुल गांधी को कांग्रेस के अंदर भी गुस्सा देखना पड़ा। उसके कारण उनकी रेटिंग में गिरावट हुई है। जबकि अरविंद केजरीवाल को सत्ता विरोधी लहर के कारण रेटिंग में फायदा हुआ है। वहीं पर बीजेपी अभी पंजाब में लोगों की पसंद नहीं है।
सर्वे के दौरान हमने दलित वोटों को लेकर भी लोगों से पूछा और दलित वोट पंजाब में भारी संख्या में मौजूद है। हमने जनता से पूछा कि अगर चुनाव अभी होते हैं तो दलित वोट किसकी तरफ अधिक संख्या में जाएगा? बता दें हमने जनता को चार ऑप्शन दिए थे। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, अकाली दल और अन्य शामिल हैं। बता दें कि पंजाब में 28 % दलित मानते हैं कि आम आदमी पार्टी उनकी समस्याओं का हल कर सकती है और सत्ता में उसे आना चाहिए। जबकि 25% मानते हैं कि कांग्रेस उनके लिए सही है। वहीं पर 24% दलित वोट अकाली दल के साथ दिख रहा है। जबकि अभी 23% दलित लोग यह तय नहीं कर पाए हैं कि वह किस दल को वोट देंगे।
आपको बता दें कि जन की बात – इंडिया न्यूज़ सर्वे से यह पता चला कि दलित वोट में काफी अधिक बिखराव दिख रहा है और बीएसपी अभी वहां पर कोई असर दिखाने में कामयाब नहीं हो पाई है। दलित वोट अकाली दल और बीएसपी गठबंधन की तरफ एक तरफा जाता हुआ नहीं दिख रहा है। यानी साफ पता चलता है कि पंजाब का दलित मायावती के चेहरे को देखते हुए भी अकाली दल के साथ एकतरफा नहीं जा रहा है।
इसके पहले जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने 19 चुनावों का सटीक आकलन किया है।