लखीमपुर खीरी में हिंसक झड़प हुई, जिसमें 8 लोगों की मृत्यु हुई। मरने वालों में चार किसान, 3 बीजेपी के कार्यकर्ता और एक पत्रकार शामिल थे। घटना के बाद राजनीति भी चरम पर आ गई और उसके बाद लगभग सभी राजनीतिक दल के नेता लखीमपुर पहुंचने लगे। बता दें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी घटना के अगले दिन ही लखीमपुर पहुंचने की कोशिश की। लेकिन प्रशासन ने किसी भी नेता के लखीमपुर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि काफी विरोध के बाद तीसरे दिन लखीमपुर में नेताओं को जाने की इजाजत मिली। प्रशासन को सबसे ज्यादा मशक्कत राहुल गांधी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के दौरे के दौरान करनी पड़ी। राहुल गांधी को जब लखीमपुर जाने की इजाजत मिली, उसके बाद राहुल गांधी लखनऊ एयरपोर्ट पर पहुंचे। कुछ बातों को लेकर वह धरने पर बैठ गए। हालांकि बाद में उन्हें लखीमपुर जाने की इजाजत मिली और कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने लखीमपुर का दौरा किया। जिसमें उन्होंने मृतक किसानों और पत्रकार के परिवार से मुलाकात की।
लखीमपुर की घटना के दौरान यह कहा जा रहा है कि इससे विपक्ष को फायदा होगा, कांग्रेस को फायदा होगा, कांग्रेस अभी लाइमलाइट में है। इन्हीं बातों पर जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने एक ट्वीट किया और कहा कि लखीमपुर में घटना से राजनीतिक रूप से क्या होगा और किस पार्टी को अधिक फायदा मिलेगा? प्रदीप भंडारी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “उत्तर प्रदेश के सम्बंध में चुनावी विश्लेषक इस तथ्य को भूल रहे हैं कि भाजपा को यूपी के विभिन्न क्षेत्रों में कई राजनीतिक विरोधियों का सामना करने में खुशी होगी, सिवाय पूरे राज्य में सपा का सामना करने के सम्बंध में। लखीमपुर प्रकरण के बाद अब विपक्ष के वोटों में बिखराव हो सकता है और इसके कारण बीजेपी को फायदा हो सकता है।”
Analysts on Uttar Pradesh are missing the fact that the BJP will be happier to face multiple political opponents in different regions of UP, over facing SP across the state. Competitive opposition politics post #LakhimpurKheri can result in division of anti BJP vote.
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) October 8, 2021