केंद्र सरकार ने 9 मई को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि वह भारत में राजद्रोह कानून के प्रावधानों की ‘पुन: जांच और पुनर्विचार’ करेगी. हलफनामा भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव मृत्युंजय कुमार नारायण द्वारा दायर किया गया था, और यह कदम पुराने कानूनों को खत्म करने की केंद्र की प्रतिबद्धता के अनुरूप है. 10 मई को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने देशद्रोह कानून के प्रावधानों को लेकर बड़ी बात कही . उन्होंने बोला कि पीएम मोदी ने देशद्रोह कानून के प्रावधान पर फिर से विचार करने को बोला है.
राजद्रोह कानून पर केंद्र का पक्ष
10 मई को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने देशद्रोह कानून के प्रावधानों को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशद्रोह कानून के प्रावधान पर फिर से विचार करने को कहा है. प्रधानमंत्री ने अप्रचलित राजद्रोह कानून को हटाने का आग्रह किया. प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षण, मानवाधिकारों के सम्मान और संवैधानिक स्वतंत्रता को अर्थ देने के पक्ष में अपने स्पष्ट विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि सरकार उचित रूप से हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि देश की संप्रभुता और अखंडता को संरक्षित किया जाए, जबकि देशद्रोह पर कानून की पुन: जांच और पुन: विचार किया जाए. कानून मंत्री ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे लगभग 1500 ऐसे कानून हैं जिनकी जरूरत नहीं थी और उन्हें हमने हटाया है और राजद्रोह कानून भी पुराना कानून है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आईपीसी की धारा 124ए (IPC Section 124 A), 1860 की वैधता की जांच में अपना कीमती समय नहीं लगाने और भारत सरकार द्वारा किए जाने वाले सेक्शन 124ए पर फिर से विचार करने की प्रतीक्षा करने का आग्रह किया है.
आज (11 मई) को सॉलिसीटर जनरल ने कोर्ट में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम राजद्रोह कानून पर दोबारा विचार कर रहे हैं. आप सुनवाई टाल सकते हैं. याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने इस दलील का विरोध किया. सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून की संवैधानिक वैधता को परख रहा है. कोर्ट की कार्यवाही इसलिए नहीं रोकी जा सकती कि सरकार उस पर विचार करने की बात कर रही है. इसके आगे कपिल सिब्बल ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि हम जितनी जल्दी राजद्रोह कानून से छुटकारा पा लें, उतना अच्छा है. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने पलटवार करते हुए कहा कि हम वही करने की कोशिश कर रहे हैं जो पंडित नेहरू तब नहीं कर सके थे.