Voice Of The People

यासीन मलिक को मिली उसके गुनाहों की सजा, ‘कश्मीरियों के हाथ से किताबें छीन बंदूकें थमाईं’ -अजमेर दरगाह के दीवान

जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता और आतंकवादी यासीन मलिक को बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई जाने के बाद देशभर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. इसी कड़ी में अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह  के दीवान ने यासीन मलिक को सजा मिलने को जायज ठहराते हुए इसे कर्मों की सजा मिलना करार दिया है. अजमेर दरगाह के मुताबिक, पूरी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद यासीन मलिक को उसके गुनाहों के लिए सजा दी गई है. भारत की न्याय पालिका ने एक बार फिर अपनी बुद्धिमत्ता, स्वतंत्रता और पारदर्शी छवि को साबित किया है, जिसकी पूरी दुनिया में हमेशा से तारीफ होती रही है.

पाकिस्तान का चेहरा दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है : अजमेर दरगाह जम्मू-कश्मीर

अजमेर दरगाह की ओर से कहा गया, ‘पाकिस्तान का चेहरा दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब हो गया है कि वह किस तरह से यासीन मलिक जैसे लोगों के जरिए भारत में आतंकियों को फंडिंग करता है. भारत में आतंकवाद को भड़काता है और कश्मीर में आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जाता है. पाकिस्तान की मदद से कश्मीर में युवाओं के हाथ से किताबों को छीनकर उन्हें बंदूक पकड़ाई जाती है और उन्हें आतंकी बनाया जाता है.

यासीन ने कश्मीरियों को जबरन बनाया आतंकी: खां

खां ने लिखा, ‘मलिक ने भारत में आतंकवाद को भड़काकर आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया. उसने निर्दोष कश्मीरियों के हाथ से किताबें छीनकर उनके हाथ में जबरदस्ती बंदूकें देकर उन्हें आतंकवादी बना दिया.’ उन्होंने कहा कि यासीन को उसके कर्मों की सजा मिली है, यासीन मलिक की सजा से पाकिस्तान का आतंक पसंद चेहरा भी बेनकाब हुआ है.

SHARE

Must Read

Latest