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पीएम मोदी ने किया ‘कर्तव्य पथ’ का उद्घाटन, नए संसद बनाने वाले श्रमिकों और उनके परिवार को 26 जनवरी पर किया आमंत्रित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज की शाम देशवासियों का इंतजार खत्म करते हुए दिल्ली की रंगीन शाम में सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन किया। इस उद्घाटन के पहले राजपथ से बदलकर बने कर्तव्य पथ का उद्घाटन और उससे भी पहले 28 फीट ऊंची नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रमजीवियों से मुलाकात की और कहा कि उन्हें 26 जनवरी के समारोह में आमंत्रित किया जाएगा

श्रमिकों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, मैं अपने उन श्रमिक साथियों का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने कर्तव्यपथ बनाया ही नहीं है बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से कर्तव्य पथ दिखाया भी है। मुझे अभी उनसे मुलाकात का मौका मिला। मैं महसूस कर रहा था कि देश के गरीब, मजदूर के भीतर भारत का कितना भव्य स पना बसा हुआ है। अपना पसीना बहाते समय वे उसी सपने को सजीव कर देते हैं। इस अवसर पर मैं हर गरीब मजदूर को देश की तरफ से धन्यवाद देता हूंः। मैंने श्रमिकों से कहा है कि इस बार 26 जनवरी पर जिन श्रमिकों ने यहां काम किया है वे परिवार के साथ मेरे विशेष अतिथि रहेगें।

आजादी के बाद महानायक को भुला दिया गया थाः पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा की, आजादी के साथ ही हमारे महानायक को भुला दिया गया। उनके प्रतीकों को नजरअंदाज कर दिया गया। सुभाष बाबू की जन्मजयंती पर उनके घर जाने का मौका मिला। मैंने उनकी अनंत ऊर्जा को महसूस किया। आज देश का प्रयास है कि नेताजी की वह ऊर्जा देश का पथ प्रदर्शन करे। कर्तव्य़ पथ पर नेताजी की प्रतिमा इसका माध्यम बनेगी। देश की नीतियों में सुभाष बाबू की छा

गुलामी का प्रतीक था राजपथःपीएम मोदी

हमें सर्वश्रेष्ठ भारत का निर्माण करना है। इसका रास्ता कर्तव्यपथ से होकर जाता है। यह सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। यहां जब देश के लोग आएंगे और नेताजी की  प्रतिमा, नेशनल वॉर मेमोरियल देखेंगे तो उन्हें कर्तव्यबोध से ओतप्रोत करेंगे। इसी स्थान पर देश की सरकार काम कर रही है। आप कल्पना करिए देश ने जिन्हें देश की सेवा का दायित्व सौपा हो. उन्हें देश का सेवक होने का अहसास कैसे कराता। ्अगर पथ ही राजपथ हो तो लोगों को अहसास कैसे होता। राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था। इसकी संरचना भी गुलामी की प्रतीक थी। आज इसकी संरचना भी बदल गई और आत्मा भी बदल गई। अब देश के सांसद, मंत्री और अधिकारी इस पथ से गुजरेंगे तो देश के प्रति कर्तव्य का बोध होगा।

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