यूपी के मुजफ्फरनगर के कवाल कांड में 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों की जड़ कहे जाने वाले कवाल कांड मामले में कोर्ट ने मंगलवार को बोजेपी विधायक विक्रम सैनी को सजा सुनाई।,कोर्ट सैनी के साथ 11 अन्य को दोषी करार देते हुए दो साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनायी, हालांकि सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया, बताते चलें की कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में पहले गौरव और सचिन नाम के युवकों की हत्या हुई और उसके बाद शाहनवाज नाम के युवक को मारा गया था।
नौ साल पहले कवाल गांव में 28 लोगों पर एक-दूसरे के सामने सामने आ गए थे, जानलेवा हमले, सरकारी कार्य में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज किया गया था।
आरोपियों को स्पेशल MP/MLA कोर्ट के जज गोपाल उपाध्याय ने खतौली क्षेत्र से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य अभियुक्तों को भारतीय दण्ड विधान की धारा 336, 353,147, 148, 149 के तहत दोषी करार देते हुए 2-2 साल की कैद और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने मामले के 15 अभियुक्तों को किसी भी प्रकार के सुबूतों के अभाव में रिहा भी कर दिया।
बताते चलें की गौरव और सचिन की अंतिम संस्कार करके लौट रहे लोगों ने ने आक्रोश में कई मकानों को आग लगा दी, इस मामले में सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की भी गई थ ,कवाल सांप्रदायिक कांड के बाद सितंबर 2013 में मुजफ्फनगर और आसपास के कुछ जिलों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिनमें कम से कम 60 लोग मारे गये थे और 40 हजार अन्य लोगों को अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था। ये उस वक्त का बहुत बड़ा सांप्रदायिक दंगा था।
बताते चलें की दंगे की असली वजह 27 अगस्त 2013 को जानसठ थाना क्षेत्र के गांव कवाल में शाहनवाज की हत्या के बाद मलिकपुरा निवासी ममेरे भाइयों सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई थी। इस कांड के बाद कवाल गांव में तनाव फैल गया था। 28 अगस्त को सचिन और गौरव की अंत्येष्टि से लौटते समय मारपीट और तोड़फोड़ के बाद बवाल हो गया था। मुजफ्फरनगर दंगे ने यहीं से दंगे की आग भड़की थी।