केंद्रीय गृह मंत्री ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की 2बी श्रेणी के तहत मुस्लिम समुदाय को मिले चार प्रतिशत आरक्षण को कर्नाटक सरकार की ओर से खत्म किए जाने के फैसले का बचाव किया। अमित शाह ने कहा कि, ‘कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिम समुदाय को आरक्षण दिया. अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य नहीं है. संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है.
शुक्रवार को 4 फीसदी ओबीसी मुस्लिम कोटा वोक्कालिगा और लिंगायत के बीच बांटा गया है. आरक्षण के लिए पात्र मुसलमानों को अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकृत किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य के आबादी में लिंगायत समाज का 17 प्रतिशत हिस्सा है और वोक्कालिगा का 15 प्रतिशत हिस्सा है. कर्नाटक के दो सबसे बड़े शक्तिशाली समुदाय है और निर्वाचन क्षेत्रो के एक बड़े हिस्से में उनका समर्थन महत्त्वपूर्ण है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘भाजपा तुष्टीकरण में विश्वास नहीं करती है. इसलिए, इसने आरक्षण को बदलने का फैसला किया. 1994 में एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने राज्य में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण तय किया और इस आशय का एक आदेश 1995 में पारित किया गया.
अमित शाह ने आगे कहा कि, ‘आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति के आधार पर राज्य में अन्य पिछड़े वर्गों की चार श्रेणियां हैं- 2ए, 2बी, 3ए और 3बी. इन समुदायों को श्रेणियों के आधार पर नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अधिमान्य आरक्षण मिलता है. 2ए कैटेगरी में सबसे पिछड़े, उसके बाद 2बी, 3ए और 3बी आते हैं.
ईडब्ल्यूएस श्रेणी में वर्तमान में ब्राह्मण, जैन, आर्य वैश्य, नागरथ और मुदलियार शामिल हैं, जो राज्य की आबादी का लगभग 4% हैं. अब मुस्लिम समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 13% है, को इस समूह में जोड़ा जाएगा.