कर्नाटक विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होता जा रहा है. जमे जमाए नेताओं के पाला बदलने से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. कांग्रेस ने राज्य में लिंगायत समुदाय के दूसरे नंबर के सबसे लोकप्रिय नेता लक्ष्मण सावदी को अपने पाले में लाकर चुनावी मैदान में उतार दिया है, और इसी लिए इस बार कर्नाटक चुनाव में अथानी सीट बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है.
14 अप्रेल को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने 43 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी. नई लिस्ट बेहद खास है. इस लिस्ट के जरिए कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को बड़ा झटका देने का प्रयास किया है. लिस्ट के मुताबिक पूर्व डिप्टी सीएम और दो दिन पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए लक्ष्मण सावदी अथानी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे.
अब क्योंकि लक्ष्मण सावदी जो की बीजेपी की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन टिकट न मिलने की नाराजगी से पला बदल कर कांग्रेस में चले गए हैं, और कांग्रेस ने भी सावदी का पूरा फायदा उठाते हुए उन्हें अथानी सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया है, यानी एक हफ्ते पहले तक जो लाक्स्मन सावदी बीजेपी के कद्दावर नेता थे अब वो ही कांग्रेस की तरफ से बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.
लक्ष्मण सावदी भी लिंगायत समुदाय से आते हैं और राज्य में लिंगायत नेता के तौर पर उनकी ख्याति है. ऐसा माना जाता है कि सावदी के प्रभाव क्षेत्र में राज्य के उत्तर में शिमोगा और उसके पड़ोसी जिलों में आधा दर्जन विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. सावदी को कर्नाटक में बी.एस. येदियुरप्पा के बाद सबसे प्रभावशाली लिंगायत नेताओं में से एक माना जाता है.
क्या कांग्रेस को सावदी से होगा फायदा?
पिछले विधानसभा चुनावों में कागवाड़, अथानी (उपचुनाव), सिंदगी और बसवकल्याण में भाजपा उम्मीदवारों की जीत में सावदी की अहम भूमिका रही है. जानकारों की राय में लक्ष्मण सावदी की मौजूदगी से कागवाड़ और अठानी में कांग्रेस को लाभ मिल सकता है. इन क्षेत्रों के लिए बीजेपी काफी हद तक सावदी पर ही निर्भर थी.
साल 2004 के बाद यहां की सीटों पर कब्जा करने में मदद मिली थी. क्योंकि सावदी ने बीजेपी को कई सहकारी संगठनों और स्थानीय निकायों पर पार्टी की पकड़ मजबूूत बनाने का काम किया था.
सावदी विजयपुरा और कलबुर्गी के क्षेत्रों में भी एक लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे. इसे देखते हुए पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने उन्हें कलबुर्गी और विजयपुरा जिलों के कई निर्वाचन क्षेत्रों के प्रभारी के रूप में नामित किया था. साथ ही वो पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान महाराष्ट्र के पड़ोसी जिलों के कई विधानसभा क्षेत्रों के चुनावों के प्रभारी भी रहे हैं.
कैसा है लक्ष्मण सावदी का राजनीतिक कद?
लक्ष्मण सावदी उत्तर कर्नाटक और पश्चिम-महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन से जुड़े रहे हैं. यही वजह है कि वह महाराष्ट्र के लोगों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में सक्षम रहे हैं खासतौर पर सांगली और कोल्हापुर जिलों में भी उनकी पर्सनाल्टी का प्रभाव माना जाता है. इस तरह वह फिलहाल कर्नाटक और आने वाले समय में महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकते हैं.
सावदी के जाने से बीजेपी को नुकसान नहीं-बोम्मई
पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में जाने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पहले तो कहा कि वह इतने वरिष्ठ नेता के भाजपा छोड़ने से दुखी हैं. लेकिन इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि इससे बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि हो सकता है सत्ताधारी दल में टिकट के दावेदार ज्यादा होने के चलते उन्हें टिकट नहीं मिली. और जो लोग पार्टी छोड़ कर गए हैं, उन्होंने विधायक बनने के लिए पार्टी छोड़ दी होगी, लेकिन जमीन पर कार्यकर्ता बीजेपी के साथ हैं. पार्टी छोड़ने वाले नेताओं से पार्टी की चुनावी संभावनाएं प्रभावित नहीं होगी.