सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक संकट को लेकर यह फैसला सुनाते हुए इसे बड़ी बैंच को सौंप दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल की तरफ से नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए। अध्यक्ष को हटाने का नोटिस अयोग्यता नोटिस जारी करने के लिए अध्यक्ष की शक्तियों को प्रतिबंधित करेगा या नहीं जैसे मुद्दों को एक बड़ी पीठ की ओर से जांच की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल से विधायकों की बातचीत में कहीं भी इस बात का संकेत नहीं था, जिसमें असंतुष्ट विधायकों ने कहा हो कि वह सरकार से समर्थन बाहर लेना चाहते हैं। राज्यपाल ने शिवसेना के एक गुट के विधायकों की बात पर भरोसा करके गलती कि उद्धव ठाकरे के पास विधायकों का बहुमत नहीं है।
बताते चलें कि वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों ने उद्धव ठाकरे से बगावत की थी। इसके बाद राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई। वहीं शिंदे और बीजेपी ने मिलकर राज्य में नई सरकार बना ली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और इससे जुड़ी सियासी हलचल जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ।
पहले ही सुनवाई पूरी हो चुकी थी और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुरुआत से ही खबर थी कि 11 या 12 मई को कोर्ट फैसला सुना सकता है। क्योंकि जिन पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई थी, उनमें एक जज 15 मई को रिटायर हो रहे हैं। इसलिए उनके रिटायरमेंट से पहले फैसला सुनाए जाने की चर्चा है। इस फैसले को लेकर सत्ता की धड़कनें पहले ही तेज हो चुकी थी।