कर्नाटक चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, और कांग्रेस ने सभी को चौंकाते हुए इस बार कर्नाटक में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। साथ ही पांच दिन चली माथापच्ची के बाद आज कर्नाटक को सिद्धारमैया के रूप में उसका अगला मुख्यमंत्री भी मिल गया है. लेकिन क्या वो कारण रहे हैं जिसकी वजह से कांग्रेस को कर्नाटक में इतना बड़ा जनादेश मिला, किस वजह से कांग्रेस बीजेपी को इतनी बुरी तरीके से शिकस्त देकर कर्नाटक में पूर्ण बहुमत हासिल कर सकी, इन्ही सवालो के जवाब आज प्रदीप भंडारी ने अपने शो इलेक्शन की बात में दिए, खासकर जेडीएस के सिकुड़ते वोट बैंक को प्रदीप ने कांग्रेस की जीत्व की सबसे मुख्य बजहों में से एक बताया.
प्रदीप भंडारी ने बताया की ‘हमें यह समझने की जरूरत है कि यह कांग्रेस की बड़ी जीत क्यों है। सबसे पहले, कांग्रेस ने लिंगायत बहुल इलाकों में बहुमत वाली सीटें जीती हैं। बेलागवी, बागलकोट, हावेरी, गडग को बीजेपी का गढ़ माना जाता था. अगर कांग्रेस को इन जिलों में बहुमत की सीटें मिल रही हैं, तो इसका मतलब है कि राज्य सरकार के खिलाफ एक मजबूत सत्ता विरोधी लहर थी। बेलगावी में बीजेपी ने इतना खराब प्रदर्शन किया कि इस बार पार्टी को मिले वोट 2013 की तुलना में भी कम थे। लिंगायत बहुल सीटों पर कांग्रेस को बहुमत मिलना एक बहुत बड़ा संकेत है। इसलिए मैं कहता हूं कि यह कांग्रेस की बहुत बड़ी जीत है।’
आगे प्रदीप भंडारी ने बताया कि ‘दुसरे कुछ जिलों में, बेल्लारी की तरह बीजेपी को शून्य सीटें मिलीं। बीजेपी अपना खुद का वोट बेस बरकरार नहीं रख पाई, इसका विस्तार करना तो भूल ही जाइए।
जेडीएस के सिकुड़ते वोटबैंक के बारे में उन्होंने कहा की ‘जेडीएस का वोट शेयर ठीक उसी तरह घट गया जैसा हमने अनुमान लगाया था। जेडीएस के सिकुड़ते वोट आधार से कांग्रेस पार्टी को व्यापक लाभ हुआ। वोक्कालिगा प्रमुख बेल्ट में बीजेपी का वोट शेयर 20% से अधिक बढ़ गया। जेडीएस के लिए हमारी सीट मार्जिन की भविष्यवाणी बिल्कुल वैसी ही थी जैसी हमने भविष्यवाणी की थी। लोगों ने कहा कि बीजेपी को बैंगलोर में 10 सीटें मिलेंगी, हमने कहा कि बीजेपी को 15-16 सीटें मिलेंगी और उसे 17 सीटें मिलीं। इसलिए वोक्कालिगा बहुल बेल्ट में, बीजेपी ने अपने वोट शेयर में वृद्धि की, लेकिन कांग्रेस ने 30 से अधिक सीटों के साथ पुराने मैसूर क्षेत्र में सचमुच कमाल कर दिया। हां जेडीएस ने अनुबंध किया था और उस संकुचन का लाभ कांग्रेस पार्टी को मिला। अगर आप जेडीएस के वोट शेयर को देखें तो यह 13% से भी कम हो गया। यह पिछले 3 चुनावों में जेडीएस का सबसे कम वोट शेयर है। वोटों की संख्या में भारी वृद्धि से कांग्रेस को भारी लाभ हो रहा है।’