G 7 समिट में पीएम मोदी की भागीदारी की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है और इसके साथ साथ संयुक्त राष्ट्र के अप्रासंगिक और चारो तरफ अप्रभावी होने की चर्चा भी है, इसी मुद्दे पर आज प्रदीप भंडारी ने अपने ट्विटर पर एक विडियो शेयर करते हुए कहा की संयुक्त राष्ट्र अब अप्रभावी हो चूका है, और चरों तरफ उसके फेलियर नजर आ रहे है और अगर समय रहते इसमें सुधार नहीं हुआ तो ये निष्क्रिय हो जायेगा.
United Nations has become ineffective, if it does not reform it is bound to become defunct. My take @jankibaat1 #UnitedNations pic.twitter.com/i5xfJD1nZY
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) May 22, 2023
प्रदीप भंडारी ने अपने विडियो में कहा की संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है, लेकिन अतीत में संयुक्त राष्ट्र इस पर कई मामलों में विफल रहा है: संयुक्त राष्ट्र रूसी यूक्रेनी संघर्ष को नहीं रोक सका, संयुक्त राष्ट्र तालिबान को अफगानिस्तान से आगे निकलने से नहीं रोक सका, यह सूडान को नियंत्रित नहीं कर सका संकट, यह इराकी आक्रमण को रोक नहीं सका। 1975 में कंबोडिया में जहां 20 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई थी, उस संकट को संयुक्त राष्ट्र भी नहीं रोक सका। संघर्ष को रोकना तो दूर, संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करने में विफल रहा है कि जो राष्ट्र संघर्ष को अंजाम देते हैं, वे ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। यूएन पूरी तरह फेल हो चुका है।
आगे प्रदीप भंडारी ने कहा की ‘जहां भी वैश्विक आपात स्थिति है, संयुक्त राष्ट्र बचाव के लिए आएगा। लेकिन जब कोविड-19 हुआ, तो 20 टीकों में से केवल एक टीका संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध था। वास्तव में भारत ने 230+ मिलियन खुराक के माध्यम से 98 देशों को टीकों की आपूर्ति की। तो इसका मतलब है कि जब दुनिया चाहती थी कि संयुक्त राष्ट्र बचाव में नहीं आया है।
इसके अलावा प्रदीप भंडारी ने कहा ‘दुनिया की 20% आबादी भारत में रहती है। भारत दुनिया भर में शांति मिशनों में एक प्रमुख योगदानकर्ता है, यह दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, फिर भी भारत यूएनएससी का हिस्सा नहीं है। वास्तव में ब्राजील और जापान को भी छोड़ दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र अब उन देशों का एक आरामदायक क्लब बन गया है जो एक-दूसरे से नफरत करते हैं और समूह का एक छोटा हिस्सा बनाते हैं और वे 1940 के दशक में दुनिया के सिर्फ प्रतिनिधि हैं और अभी दुनिया नहीं हैं। क्या संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारों के रखरखाव में सफल रहा है? जवाब न है। उस पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाया गया है, इस्लामिक देशों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक अधिकारों को सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया गया है। इसलिए जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र अपने आप में सफल नहीं रहा है, तो यह सही है। आप उस निकाय से क्या उम्मीद करते हैं जिसने 77 वर्षों में अभी तक एक आतंकवादी राष्ट्र का नाम नहीं दिया है? मेरा तर्क यह है कि यदि संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र बना रहता है, तो इस दुनिया में कोई भी संयुक्त राष्ट्र को गंभीरता से नहीं लेगा। यह अक्षम हो गया है, यह अप्रभावी हो गया है। क्या यह निष्क्रिय हो जाएगा? ये तो समय ही बताएगा’