साल 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की थी। 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के 9 साल पूरे हो गए हैं। आज हम जानेंगे प्रधानमंत्री मोदी के 9 साल के इस कार्यकाल में उन्होंने महिला कल्याण के लिए क्या कदम उठाए हैं।
भारत का विकास दरअसल देश की महिलाओं के विकास से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बीते नौ वर्षों में नारी शक्ति को भारत की विकास यात्रा में सबसे आगे रखा है।
मोदी सरकार का मानना है कि सशक्तिकरण वन स्टॉप समाधान नहीं है, बल्कि इसके लिए महिला सशक्तिकरण के लिए जीवनचक्र- आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस संबंध में, महिलाओं के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम इस तरह से तैयार किए गए हैं कि जीवन के विभिन्न चरणों में उनके सशक्तिकरण के लिए सामाजिक आर्थिक बाधाओं को दूर करने में उनकी सहायता की जा सके।
मिशन पोषण एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है ताकि बच्चों, किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इसमें पोषण सामग्री और वितरण में एक रणनीतिक बदलाव लाया गया है और इसमें एक ऐसे सम्मिलित इकोसिस्टम का निर्माण किया जाता है जो ऐसी प्रथाओं को विकसित और प्रोत्साहित करे जो स्वास्थ्य, कल्याण और प्रतिरक्षा का पोषण करती हों ।
मिशन शक्ति की बात करें तो इसमें महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए दो उप-योजनाएं संबल और सामर्थ्य शामिल हैं। नारी अदालत के एक नए घटक के साथ वन स्टॉप सेंटर (ओएससी), महिला हेल्पलाइन (181-डब्ल्यूएचएल), और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) की मौजूदा योजनाओं को संबल उप-योजना का हिस्सा बनाया गया है। वहीं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), शक्ति सदन (उज्ज्वला और स्वाधार गृह), कामकाजी महिला छात्रावास (सखी निवास) और राष्ट्रीय शिशुगृह योजना (पालना) जैसी योजनाओं को सामर्थ्य में शामिल किया गया है।
इन पहलों का प्रभाव परिणामों में स्पष्ट होता दिख रहा है, जैसे कि शिशु जन्म दर में बेहतर लिंगानुपात, जो अब पहली बार प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हुआ है। वहीं संस्थागत प्रसव में वृद्धि, शिशु मृत्यु दर में कमी और मातृ मृत्यु दर में कमी आई है।
महिलाओं को सम्मान भरा जीवन प्रदान करना मोदी सरकार के शासन का एक बुनियादी वादा है। यह वादा उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी सिलेंडरों के बढ़ते उपयोग में प्रकट होता है, जिसने धुंआ मुक्त रसोई के माध्यम से करोड़ों महिलाओं को कई बीमारियों से बचाया है। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के साथ, करोड़ों महिलाएं अब बिना किसी असुरक्षा की भावना और सम्मान के उल्लंघन के अपने घरों में शौचालय का उपयोग कर ही हैं।
महिला सशक्तिकरण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर निर्भर है। मुद्रा योजना जैसे कार्यक्रम, जिसमें महिलाओं को 68% ऋण दिया गया है, ने देश भर में करोड़ों महिलाओं को सूक्ष्म स्तर की उद्यमशीलता को आगे बढ़ाने और वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनने में सक्षम बनाया है।
पीएम आवास योजना के तहत, महिलाओं को घर का मालिक बनाया जा रहा है, इस प्रकार वे घरेलू निर्णय लेने में सक्रिय भागीदार बन रही हैं। मोदी सरकार के 9 साल में महिलाएं लगातार ताकतवर होती गई हैं। उनकी सफलता को महिला पुलिस कर्मियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि, देश के लिए खिलाड़ियों द्वारा जीते गए सम्मान और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में महिलाओं के संख्या से देखा जा सकता है।