पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने हमेशा समावेशी विकास को प्राथमिकता दी है और सरकार की उत्तर – पूर्व नीति इस क्षेत्र को मुख्यधारा में लाने के लिए उसके प्रयासों को प्रतिबिंबित करती है। सरकार ने अपनी उत्तर-पूर्व नीति के माध्यम से आर्थिक विकास, आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण और संवर्धन पर अपना ध्यान केंद्रित किया है।
सरकार द्वारा उत्तर पूर्व में किए गए बड़े काम:-
पूर्वोत्तर में हिंसा के मामले में 2014 से पहले के मुकाबले अब काफी कमी आई है। 2014 की तुलना में 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 76% कमी आई है। वहीं 2014 की तुलना में 2021 में नागरिकों के मौत के आंकड़े में 97% की कमी देखने को मिले हैं और 2014 के मुकाबले 2021 में सुरक्षा बलों के हताहत होने के आंकड़े में 90% कमी आई है।
पूर्वोत्तर में 2014 तक मात्र 9 एयरपोर्ट संचालित थे। वहीं 2023 में संचालित एयरपोर्ट की संख्या 16 हो गई है। असम में 14 अस्पतालों के साथ साथ दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा कैंसर देखभाल नेटवर्क बनाया जा रहा है। बन रहे 14 अस्पतालों में से 7 का उद्घाटन किया जा चुका है वहीं 7 अभी निर्माणाधीन है।
पूर्वोत्तर में कृषि सशक्तिकरण की बात करें तो पूर्वोत्तर खाद्य तेल उत्पादन में भारत को विस्तार देगा। पूर्वोत्तर को ऑर्गेनिक खेती के लिए वैश्विक केंद्र में परिवर्तित किया जा रहा है। वन धन विकास योजना ने 3.3 लाख संग्रहकर्ताओं और 19,155 स्वयं सहायता समूहों की मदद की। बांस को घास के रूप में पुनर्वर्गीकरण और राष्ट्रीय बांस मिशन ने बांस उद्योग को बढ़ावा दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर प्रयास रहा है कि वे गुमनाम नायकों को उचित तरीके से सम्मानित करें। इसी के अंतर्गत देश ने 2022 को लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के रूप में मनाया। लचित बोरफुकन (24 नवंबर, 1622-25 अप्रैल, 1672) असम के अहोम साम्राज्य की शाही सेना के प्रसिद्ध जनरल थे जिन्होंने मुगलों को हराया और औरंगजेब के अधीन मुगलों की लगातार बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को सफलतापूर्वक रोक दिया। उन्होंने 1671 में लड़ी गई सरायघाट की लड़ाई में असमिया सैनिकों को प्रेरित किया और मुगलों को हराया।