हिमाचल प्रदेश में आर्थिक मोर्चे पर सुक्खू सरकार डगमगा चुकी है। 15 हजार कर्मचारियों को नहीं मिली अब तक सैलरी अब कर्मचारी बेचारे परेशान हैं। किसी को अपने घर का राशन भरवाना है, तो किसी को अपने बच्चों के स्कूल की फीस भरनी है, तो किसी को अपने बुजुर्ग मां-बाप के लिए दवाइयां लेनी है। विपक्ष का आरोप है कि सुक्खू सरकार का इन कर्मचारियों के हालात से कोई सरोकार नहीं है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम सहित वन निगम, श्रम एवं रोजगार, मेडिकल कालेज और जल शक्ति विभाग के कुछेक आउटसोर्स कर्मचारियों को 13 जून को भी सैलरी नहीं दी गई। इससे कर्मचारी काफी परेशान और हताश हैं।
वेतन में देरी सरकारी कर्मचारियों के लिए चिंता का कारण बन रही है क्योंकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि कांग्रेस इस साल हिमाचल प्रदेश में मुफ्त और गारंटी के वादों पर सवार होकर सत्ता में आई और सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार बनाई।
सूत्रों की माने तो राज्य सरकार का खजाना 1,000 करोड़ रुपये के ओवरड्राफ्ट का सामना कर रहा है और उसने 800 करोड़ रुपये के ऋण के लिए भी आवेदन किया है। यह कर्ज मिलने के बाद भी सरकार के पास 200 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट होगा।
बताते चलें कि केंद्र सरकार द्वारा साल 2023-24 के केंद्रीय बजट में राज्यों की कर्ज सीमा को भी कम किया गया है। राज्य अब अपनी जीडीपी का केवल 2.5 फ़ीसदी हिस्सा ही कर्ज के तौर पर उठा सकते हैं। साल 2022-24 में हिमाचल प्रदेश सिर्फ 9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले सकेगा। इससे पहले यह कर्ज की सीमा 14 हजार 500 करोड़ रुपए थी।