गृह मंत्री अमित शाह ने गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा पर कांग्रेस द्वारा आलोचना करने को लेकर सोमवार को ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, “भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुँचाने का अद्भुत कार्य कर रही है। गीता प्रेस को गाँधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना उनके द्वारा किये जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है।”
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”hi” dir=”ltr”>भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुँचाने का अद्भुत…</p>— Amit Shah (@AmitShah) <a href=”https://twitter.com/AmitShah/status/1670716272181649408?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 19, 2023</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
आपको बता की, गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार देने के फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के करीबी जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के फैसले की आलोचना की है। जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की तुलना सावरकर और गोडसे से की है। जयराम रमेश ने कहा है कि शताब्दी वर्ष मना रही गीता प्रेस गोरखपुर को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने का फैसला किया गया है। अक्षय मुकुल की 2015 में लिखी गई किताब एक बहुत अच्छी जीवनी है, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी के साथ इसके संबंधों, राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर बात कही है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है। यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।
वहीं, भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस को ‘हिन्दू विरोधी’ करार दिया और लोगों से सवाल किया कि गीता प्रेस पर उसके हमले से क्या कोई हैरान है?
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘गीता प्रेस को अगर ‘एक्सवाईजेड प्रेस’ कहा जाता तो वे इसकी सराहना करते… लेकिन चूंकि यह गीता है, इसलिए कांग्रेस को समस्या है। कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन उसके लिए गीता प्रेस सांप्रदायिक है। जाकिर नाइक शांति का मसीहा है लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है। कर्नाटक में गोहत्या चाहती है कांग्रेस।’’
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस को अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किए गए कार्यों की सराहना करना है।
गांधी शांति पुरस्कार 2021, मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवन शैली का प्रतीक है।