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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की USA यात्रा के दौरान रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक समझौता; HAL और GE ऐरोस्पेस डील से भारत ने चीन और पाकिस्तान को पीछे छोड़ा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी राजकीय यात्रा काफी महत्वपूर्ण साबित हुई। उनकी इस ऐतिहासिक यात्रा से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण डील हुई है। भारत और अमेरिका के बीच जीई-एफ414 इंजन (GE-F414 Engine) को लेकर ऐतिहासिक समझौते हुए हैं। इसे मील का पत्थर माना जा रहा था।

बता दें कि GE-F414 इंजन टेक्नोलॉजी मिलने से अब भारत उन शक्तिशाली देशों में शुमार हो जाएगा, जिसके पास इस समय ये टेक्नोलॉजी मौजूद हैं। इस इंजन को भारत अपने हल्के लड़ाकू विमान तेजस में इस्तेमाल करेगा। इस तकनीक से भारत अब चीन और पाकिस्तान को भी पीछे छोड़ देगा।

GE-F414 इंजन- इस इंजन को अमेरिका की मल्टिनेशनल कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) तैयार करती है। ये इंजन एक टर्बोफैन इंजन है, जो हल्का होता है। इस इंजन का इस्तेमाल अमेरिका की नेवी कर रही है। पिछले 30 सालों से GE-F414 इंजन अपने ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। ये काफी जांचा-परखा इंजन है, जिसका इस्तेमाल अमेरिका सहित कई देशों में हो रहा है।

इसके प्रदर्शन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस इंजन ने अब तक 50 लाख से अधिक घंटे की उड़ान भरी है। इसे बनाने वाली कंपनी अब तक 1600 से अधिक इंजन बना चुकी है, जिसका फाइटर जेट्स में इस्तेमाल हो रहा है।

दुनिया में ऐसे आठ देश हैं, जिनके पास GE-F414 इंजन जैसी तकनीक है और उसका इस्तेमाल कर रहा है। जल्द ही इस सूची में भारत भी शामिल हो जाएगा। अमेरिका में एफ ए 18ई एफ सुपर होर्नोट और ईए18जी ग्रोवलर में इसका इस्तेमाल रहा है।

भारत GE-F414 इंजन को अपने तेजस एमके2 एयरक्राफ्ट में लगाएगा। इस तकनीक से तेजस और भी एडवांस हो जाएगा। तेजस में इस इंजन का प्रयोग करने के लिए 2010 में सुझाव दिया गया था। इस समय तेजस में इस इंजन का बेसिक डिजाइन GE-F404-IN20 इंजन का इस्तेमाल हो रहा है। इसे आज से 50 साल पहले तैयार किया था, जो अब पुराना हो गया है।

भारत और अमेरिका के बीच GE-F414 इंजन तकनीक को लेकर डील पक्की हो जाने के बाद भारत अब उन देशों की सूची में शामिल हो गया, जो खुद फाइटर जेट्स इंजन तैयार करते हैं। इस समय सिर्फ चार देश ऐसे हैं, जिनके पास फाइटर जेट्स इंजन तैयार करने की तकनीक है। इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस का नाम है, लेकिन जल्द ही भारत का नाम इसमें जुड़ सकता है।

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