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दिल्ली में मनाया गया लक्ष्मी बाई केलकर(मौसीजी) का अवतरण दिवस; संघ के सह कार्यवाह गोपाल कृष्ण और साध्वी ऋतंभरा ने कार्यक्रम को किया संबोधित

राष्ट्रीय सेविका संघ, दिल्ली प्रान्त, शरण्या द्वारा वंदनीय लक्ष्मीबाई केलकर जी जिनको मौसीजी के नाम से भी जाना जाता है, उनका अवतरण दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में मेधाविनी नामक पत्रिका का अनावरण किया गया। इसकी लेखिका प्रो निशा राणा हैं। निशा राणा राष्ट्रीय सेविका समिति, दिल्ली की प्रान्त प्रमुख हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मौसी जी जीवन के बताए मार्ग पर चलते रहेंगे।

इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सीता गायत्री जी थी जो राष्ट्रीय सेविका संघ की प्रमुख कार्यवाहिका हैं। मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में श्री कृष्ण गोपाल जी थे जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सह कार्यवाह हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षा अधिष्ठात्री वात्सल्य ग्राम दीदी मां साध्वी ऋतंभरा थीं।

दिल्ली,राष्ट्र सेविका समिति की आद्य संचालिका वंदनीय लक्ष्मीबाई केलकर के 118 वें जन्म दिवस उत्सव पर मेधाविनी सिंधु सृजन, दिल्ली प्रांत द्वारा हंसराज कॉलेज कॉलेज में कार्यक्रम आयोजित किया गया। समिति इस दिन को संकल्प दिवस के रूप में मनाती आई है।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता सीता गायत्री जी बोला कि मौसीजी का अवतरण दिवस हम संकल्प दिवस के रूप में मनाते हैं। मौसीजी का एक अप्रतिम व्यक्तित्व है मौसीजी का। मौसीजी के माताजी आज़ादी से पहले बच्चों को राष्ट्रवादी विचार पढ़ाती थी। वही विचार उन्होंने अपनी बेटी यानी मौसीजी को भी दिया। राष्ट्र सेविका समिति का उद्देश्य महिला के लिए, महिला के द्वारा और राष्ट्र के लिए है। महिलाओं में कैसे राष्ट्रवाद बढ़े उसका काम 1936 से अभी तक किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति महिलाओं के अंतर की अंतर्निहित शक्तियों को बाहर निकालने का कार्य कर रहा है और 650 जिलों तक नेटवर्किंग का कार्य हो रहा है केंद्र में जो विचार किया जाता है वही ग्रामीण स्तर तक ले जाने का कार्य समिति की बहने कर रही हैं उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देकर कहा कि भारत की महिलाओं का उद्धार करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह स्वयं सिद्ध हैं, वे अपने जीवन के लक्ष्य को जानती हैं। वह अपना उद्धार स्वयं कर सकती हैं। आज की महिलाओं में अपनी शक्तियों का विस्मरण हो गया है लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि महिलाएं अपनी संस्कृति, अपनी शक्तियों को फिर से स्मरण करें और समाज को एक नई दिशा दें।

मुख्य अतिथि माननीय कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि वंदनीय लक्ष्मी बाई जी का संपूर्ण जीवन अनुकरणीय रहा है। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि जो परिवर्तन है वह अपनी सुरक्षा के लिए है, वह हमारा मूल‌ नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की महिलाएं वैदिक काल से ही जागरूक व शिक्षित थीं। वैदिक काल मैं 26 महिलाओं ने वेदों की ऋचाएं लिखी हैं। अपाला, मैत्री, गार्गी, सूर्या सावित्री, सीता ,सावित्री, दमयंती ,जैन धर्म व बौद्ध धर्म के समय की महिलाएं भी जागरूक व शिक्षित थीं।

उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में कभी भेदभाव नहीं किया गया, पुरुषों और महिलाओं में। दूसरे धर्म में कहा गया कि पहले पुरुष आया, पहले आदम आए फिर उसकी जरूरत के लिए ईव आयी। हमने कहा पहले ब्रह्म आएं। हमारा मौलिक विचार थोड़ा अलग है। सबने कहा ईश्वर केवल पुरुष हो सकता है, लेकिन हिन्दू धर्म में ईश्वर अर्धनारिनागेश्वर के रूप में हैं।

मा. श्री गोपाल कृष्ण ने सभा को संबोधित करते हुए आगे कहा कि महिलाएं हमारे संस्कृति और विज्ञान की जननी है। बुद्ध काल में में कई विदुषी थीं और अनंत काल तक महिलाएं की अहम भूमिका रहेगी। पुरुष के लिए महिलाएं बनी हैं ये सही नहीं हैं, ये भारत में कभी नहीं हुआ ना होगा। महिलाओं को लूट की वस्तु पश्चिमी देशों में समझा जाता था और आज भी हम अपनी सीता माता की अनंत काल से पूजा करते आए हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षा दीदी मां साध्वी ऋतंभरा जी ने कहा कि भारत की जानकी के ऊपर कोई दश्यू कोई कुदृष्टि रखता है तो भारतीय लंका के स्वर्णप्रचीर को चीर के रख सकता है। त्रिदेव को भी नन्हा बनाने का दम भारत की नारी में है। नारी ही निर्मात्री है, विधाता है, युद्ध मे भी दशरथ का साथ दे सकती है, अंग्रेजों से भी लोहा ले सकती है।

उन्होंने कहा कि दिल दुखता है जब कॉलेज की लड़कियां कॉलेज के बाहर सिगरेट के छल्ले बनाती है, जब सोशल मीडिया पर गंदी गालियां देती हैं और जब सड़कों पर शराब की बोतलें तोड़ती हैं। नारी बीज है और विशाल वन बन कर प्रकट हो जाती है। हम वो हैं जिसके कोख में आने को ईश्वर भी तड़पते हैं।

आपको बता दें कि राष्ट्र सेविका समिति भारतीय महिलाओं का सबसे बड़ा और सुदृढ़ संगठन है जिसकी शाखाएं पूरे भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी फैली हुई हैं। भारत के 2380 शहरों, कस्बों और गांवों में समिति की 3000 शाखाएं चल रही हैं। समिति के 400 सेवा प्रकल्प चल रहे हैं। दुनिया के 16 देशों में समिति की सशक्त उपस्थिति दर्ज हो चुकी है। सेविका समिति सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक धरातल पर 1936 से काम कर रही है ।शाखाओं के माध्यम से समिति की सेविकाएं (सदस्या) समाज और देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। आज के इस कार्यक्रम में लगभग 600 बहनों ने भागीदारी की।

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