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प्रदीप भंडारी से बोले पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी- हिंदू औरतें वहां घर से बाहर नहीं निकल सकतीं, उठा लेने का डर बना रहता

आज इलेक्शन की बात, प्रदीप के साथ में प्रदीप भंडारी ने दिल्ली में रह रहे पाकिस्तान से आए हिंदुओं से बातचीत की। प्रदीप भंडारी ने वहां रह रहे लोगों से पाकिस्तान के हालात पर चर्चा की। वहां औरतों के साथ कैसा व्यवहार होता है इस मुद्दे पर भी प्रदीप भंडारी ने बातचीत की है। आपको बताते हैं कि पाकिस्तान से आए हिंदुओं ने पाकिस्तान में रह रहे हिन्दू परिवार की औरतों के साथ होने वाले व्यवहार के बारे में प्रदीप भंडारी से क्या बोला?

सबसे पहले प्रदीप भंडारी ने रमेश कुमार नाम के पाकिस्तानी हिन्दू से बात की जो अभी मई में ही पाकिस्तान से भाग कर भारत आया है। वो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के रहने वाला है। महिलाओं के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उसने बताया कि उनके जान को भी पाकिस्तान में खतरा था क्योंकि हमारी जो बहन बेटियां हैं वो बाहर नहीं निकल सकती थी। उठा ले जाने का डर हमारे घर की औरतों में हमेशा होता था।

इसके बाद प्रदीप भंडारी को तीर्थ नाम के एक पाकिस्तानी हिन्दू जो कि करीब 4 साल पहले हिंदुस्तान आया था उसने बताया कि पाकिस्तान में हमारी बहन, बेटी पढ़ नहीं सकती क्योंकि वहां हमेशा डर रहता था कब कहां से उठा के ले जाए कुछ पता नहीं चलता था। पाकिस्तान में अकेली औरत बाहर नहीं निकल सकती है और ना ही बाज़ारों में घूम सकती है। खेती बाड़ी में भी अकेली औरत को आने जाने में डर रहता था। कब क्या हो जाएगा वहां कुछ पता नहीं चलता था। उन्होंने आगे कहा कि अभी तो पाकिस्तान के हिंदुओं की पहले से भी काफी ज्यादा हालात खराब हो गयी है।

एक अन्य पाकिस्तानी हिन्दू ने प्रदीप भंडारी से बताया कि वहां हमेशा बहन, बेटियों के लिए डर लगा रहता था क्योंकि वहां स्थिति सही नहीं है ना इसलिए डर लगा रहता था। घर की बहू बेटियों के जान को सुरक्षित रखने के लिए उनको घर से नहीं निकलने दिया जाता था। पाकिस्तान में बहन, बेटियां, औरतें खुलेआम नहीं घूम सकती है। जैसे भारत में आजादी में घूम फिर रहे हैं वैसे नहीं पाकिस्तान में नहीं घूम सकते।

एक सबरी नाम की पाकिस्तानी हिन्दू औरत ने बताया कि यहां काफी खुश हैं। पाकिस्तान में पूजा पाठ भी नहीं कर सकते थे मगर यहां सब कुछ करने की आजादी है। यहां कोई दिक्कत नहीं है और पाकिस्तान से ज्यादा खुश हैं। पाकिस्तान में बहुत डर लगता था। वहां हम कभी घूम नहीं सकते थे, कहीं जा नहीं सकते थे।

एक हिन्दू औरत जो पाकिस्तान से यहां आकर सिलाई कढ़ाई का काम कर रही है और अपने घर का गुजारा कर रही है उसने प्रदीप भंडारी से बताया कि पाकिस्तान में घूम भी नहीं सकते थे। सिंदूर लगा कर घर से बाहर भी नहीं जा सकते थे। यहां तक कि उनके बच्चे को हिन्दू होने के बावजूद कलमा पढ़ाया जाता था।

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