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पिछले साल बीजेपी-शिवसेना के ब्रेकअप के बाद से कैसे आया महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल? जानिए पूरी टाइमलाइन

जनसंख्या के लिहाज से भारत के दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एनसीपी में भी सेंधमारी करने में सफल रही. जून 2022 में बीजेपी ने शिवसेना के विधायकों को तोड़ लिया था, जिसके फलस्वरूप एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. अब माना जा रहा है कि शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के अधिकांश विधायकों को भी बीजेपी लुभाने में सफल रही है क्योंकि अजित पवार के साथ 40 विधायकों का समर्थन होने की बात कही जा रही है. अजित पवार ने शनिवार 1 जुलाई को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है.

अजित पवार ने साफ किया है कि वह एनसीपी के चिन्ह पर ही चुनाव लड़ेंगे. महाराष्ट्र में एनसीपी के 54 विधायक हैं और दल-बदल कानून के अनुसार अलग गुट के लिए दो तिहाई विधायकों का समर्थन होना अनिवार्य है. अलग गुट की स्थिति में अजित पवार को 36 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. अगर आगे का घटनाक्रम अजित पवार के एक अलग गुट के रूप में बदलता है तो उसे बीजेपी के ‘सेंधमारी’ के सफल प्रयास के रूप में देखा जाएगा.

2022 में शिवसेना के साथ क्या हुआ था?

2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना साथ थीं. दोनों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था. चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं. चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना में नहीं बनी और दोनों पार्टियां अलग हो गईं. 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के लिए बहुमत का आंकड़ा 145 का है. अब किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए इस चुनौती का सामना करना था.

23 नवंबर 2019 को भी बड़ा उलट फेर हुआ था. अजित पवार ने बीजेपी को समर्थन दे दिया था. देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री और अजित पवार डिप्टी सीएम बन गए थे लेकिन तब शरद पवार ने अजित पवार के कदम को यह कहते हुए झटका दिया था कि उनका (अजित) फैसला पार्टी का नहीं, बल्कि निजी है. उन्होंने विधायकों को अजित का समर्थन करने से रोक लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण के लिए कहा तो संख्याबल न होने के कारण फडणवीस ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था. वह केवल 72 घंटे तक ही सीएम रह पाए थे.

उधर शिवसेना सीएम पद की शर्त पर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिल गई और नया गठबंधन बना- महाविकास अघाड़ी. महाविकास अघाड़ी की सरकार बन गई और उद्धव ठाकरे सीएम बने. उन दिनों गठबंधन धर्म का पालन कर रही शिवसेना के कट्टर हिंदूवादी रुख में बदलाव देखा गया. शिवसेना के भीतर ही वैचारिक मतभेद उठने लगे. कुछ लोगों ने उद्धव ठाकरे पर शिवसेना को बालासाहेब की सोच के अनुरूप लीड नहीं करना का आरोप लगाया, जिनमें एकनाथ शिंदे भी शामिल थे. पार्टी के भीतर की उथल-पुथल पर बीजेपी की नजर थी.

21 जून 2022: एकनाथ शिंदे शिवसेना के 35 विधायकों को साथ लेकर गुजरात पहुंच गए. अगले दिन वह विधायकों को लेकर गुवाहाटी पहुंच गए और 40 विधायकों के उनके साथ होने की बात कही.

29 जून 2022: सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 30 जून को बहुमत परीक्षण किया जाए. उद्धव ठाकरे ने बहुमत परीक्षण की जहमत नहीं उठाई और 29 जून को ही एक प्रेस वार्ता कर इस्तीफा दे दिया.

30 जून 2022: एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली. तब भी माना गया था कि बीजेपी ने एवीए में सेंध लगा दी.

2 जुलाई 2023: एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने दोपहर को एक आपातकालीन मीटिंग बुलाई, जिसपर शरद पवार ने कहा ये नेता विपक्ष होने के नाते उनका हक है, लेकिन शरद पवार को जरा भी भनक नहीं थी की अजित बगावत के मूड में हैं। दोपहर करीब 2 बजे अजित पवार अपने साथ 30 से ज्यादा एनसीपी नेताओं को लेकर विधानसभा पहुंच गए और राज्यपाल के समक्ष उप मुख्यमंत्री की शपथ ली। अजित पवार के साथ एनसीपी के 8 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

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Vipin Srivastava
Vipin Srivastava
journalist, writer @jankibaat1

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