महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। राजनीति के धुरंधर अजित पवार अपने चाचा शरद पवार का साथ छोड़ महाराष्ट्र की बीजेपी-शिंदे गठबंधन वाली सरकार में शामिल हो गए। अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनके साथ आठ और विधायकों ने भी मंत्री पद शपथ ली।
NCP से बगावत के बाद अजित पवार ने कहा कि अगर एनसीपी शिवसेना के साथ जा सकती है तो बीजेपी के साथ क्यों नहीं, विकास के लिए शिंदे सरकार में शामिल हुए। विपक्ष में कोई एक ऐसा नहीं है जो देश के भविष्य के बारे में सोचकर देश के लिए काम कर रहा हो। आने वाले दिनों में कई और चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बीते 9 सालों में देश अच्छे से चलाया जा रहा है। मोदी जी को हराने के लिए विपक्षी दल साथ में आए हैं लेकिन वह मोदी जी को हराने में असमर्थ हैं।
इन सारे प्रकरणों के बाद सवाल उठता है कि जो दावा अजित पवार का गुट कर रहा है कि उनको 30 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। तो क्या ऐसे में शरद पवार की NCP टूट जाएगी या शरद पवार अपने विधायकों को वापस लाने में सफल हो जाएंगे। आइए जानते हैं कि क्या हो रहा है महाराष्ट्र की राजनीति में, खासकर NCP में। 5 जुलाई को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के लोक प्रतिनिधि और पदाधिकारियों की बड़ी बैठक है। अजित पवार समर्थक उस बैठक में शामिल होंगे।
आपको बता दें कि पार्टी में बगावत के बाद NCP ने अजित पवार के साथ गए सभी विधायकों को 5 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया है। 5 जुलाई तक जयंत पाटिल और सुप्रिया सुले इंतजार करेंगे। 5 जुलाई की बैठक के बाद यह तय किया जाएगा कि नोटिस किसे भेजना है। सभी विधायकों को 5 जुलाई का अल्टीमेटम है।
वहीं महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि विपक्ष के नेता को मान्यता विधानसभा प्रमुख द्वारा दी जाती है। कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी नियमों और विनियमों पर विचार किया जाएगा। मुझे अजित पवार के समर्थन में विधायकों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं है।