अजित पवार के एनसीपी विधायकों को तोड़कर एनडीए में शामिल होने का मामला अब महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष और चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अजित पवार समेत मंत्री पद की शपथ लेने वाले सभी नौ विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र लिखा है। इस बारे में चुनाव आयोग को भी एक ईमेल भेजा गया है।
रविवार देर रात मीडिया से बात करते हुए पाटिल ने कहा कि हमने विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता नोटिस दिया है। हम जल्द से जल्द ठोस दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि अयोग्यता याचिका नौ नेताओं के खिलाफ दायर की गई है, क्योंकि इन्होंने पार्टी छोड़ने के फैसले के बारे में किसी को नहीं बताया, जो एनसीपी के सिद्धांत के खिलाफ है। पाटिल ने आगे कहा कि हमने चुनाव आयोग को भी पत्र लिखा है।
शिंदे-भाजपा सरकार को समर्थन नहीं
पाटिल ने बताया कि एक पार्टी के तौर पर एनसीपी ने एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार को समर्थन नहीं दिया है। सरकार को समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कई विधायकों ने फोन कर कहा कि वे हमेशा शरद पवार के साथ हैं। पाटिल ने बताया कि पार्टी में कुछ नेता अक्सर भाजपा के साथ जाने की मांग करते थे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने इसे कभी मंजूरी नहीं दी। पार्टी के आदर्शों के खिलाफ जाकर एनसीपी के नौ नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली और कुछ शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
अजित पवार के पास दो तिहाई विधायकों का समर्थन नहीं
इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने दावा किया है कि कुछ नेताओं के साथ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल हुए अजित पवार के पास दो तिहाई यानी 36 विधायकों का समर्थन नहीं है, जैसा कि दावा किया जा रहा है। एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने यह भी दावा किया कि पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल सभी 53 विधायकों से संपर्क कर रहे हैं और सोमवार तक तस्वीर साफ हो जाएगी।
आपको बता दें कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के 53 विधायक हैं और दलबदल विरोधी कानून से बचने लिए अजित पवार को कम से कम 36 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। क्रैस्टो ने कहा कि अजित पवार के पास 36 विधायकों का समर्थन नहीं है।