एनसीपी का सियासी संग्राम चुनाव आयोग के दरवाजे तक पहुंच गया है। चुनाव आयोग को अजित पवार की ओर से एनसीपी पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावा करने वाली याचिका मिली है। आयोग को शरद पवार गुट के जयंत पाटिल से भी एक याचिका मिली है कि उन्होंने 9 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह खबर न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के हवाले से आ रही है।
अजित पवार और शरद पवार गुट की मुंबई में बैठक हुई। अजित पवार की बैठक में एनसीपी के 32 विधायकों और पांच एमएलसी के शामिल होने का दावा किया गया। वहीं, शरद पवार गुट की बैठक में 13 विधायक शामिल हुए। इसके अलावा बैठक में तीन एमएलसी और पांच सांसद भी मौजूद रहे।
बांद्रा के मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट परिसर में चल रही अजित पवार खेमे की बैठक में अजित पवार को पार्टी का राष्ट्रीय नेता घोषित किया गया। इसके बाद अजित पवार ने एनसीपी पर अपना दावा ठोका है। अजित ने एनसीपी के चुनाव चिह्न पर भी अपना दावा किया है। चुनाव आयोग को इस संबंध में अजित पवार की एक चिट्ठी मिली है।
वहीं, अजित पवार ने शरद पवार पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी में 75 साल की उम्र वाले नेता भी रिटायर हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ये बात नहीं समझते हैं। 2 मई को शरद पवार ने इस्तीफा दिया। तय हुआ था कि सुप्रिया सुले को अध्यक्ष बनाना है। हमने मान्य किया, लेकिन फिर क्या हुआ इस्तीफा वापस ले लिया।
पार्टी और सिंबल पर दावा करने के इतिहास को देखें तो हाल में ही कई ऐसे घटनाक्रम है जिसमें पार्टी के सिंबल की लड़ाई चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। महाराष्ट्र का उदाहरण देखें तो पिछले वर्ष ही एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना से बगावत कर दिया और करीब 40 विधायक और 7 सांसदों को तोड़ कर अलग गुट बना लिया था।
इसके बाद मामला चुनाव आयोग में पहुंचा और फिर सुप्रीम कोर्ट और अंत में एकनाथ शिंदे के खेमे को ही असली शिवसेना माना गया। दूसरे उदाहरण को देखें तो बिहार में रामविलास पासवान के मृत्यु के बाद उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का भी बंटवारा हुआ। चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों को अलग नाम और अलग सिंबल दिया गया। वहीं पहले वाला सिंबल और नाम फ्रीज कर दिया गया।