महाराष्ट्र की सियासत गर्म है और शरद पवार और अजित पवार दोनों नेताओं ने अपने समर्थक विधायकों की बैठक बुलाई है। हालांकि 32 विधायक अजित पवार की बैठक में पहुंचे। वहीं महज 13 विधायक शरद पवार की बैठक में पहुंचे। इस बीच बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र की राजनीति को पलट दिया और अब वह महाराष्ट्र के सबसे बड़े और लोकप्रिय नेता बन गए हैं।
दरअसल पिछले साल शरद पवार की बेटी और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा था कि अकेला फडणवीस क्या करेगा? लेकिन उसके बाद ऐसा घटनाक्रम शुरू हुआ कि महाराष्ट्र की पूरी राजनीति ही बदल गई और भले ही आज फडणवीस उपमुख्यमंत्री हैं लेकिन सबसे बड़े विजेता वही बनकर उभर रहे हैं।
सबसे पहले तो देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार को अस्थिर किया और एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर महाराष्ट्र में बीजेपी की वापसी कराई। वहीं जब महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी की सरकार थी, उस दौरान भी फडणवीस अकेले पूरे गठबंधन पर भारी पड़ते थे। चाहे विधान परिषद के चुनाव हो या फिर राज्यसभा के, फडणवीस ने हमेशा बीजेपी के उम्मीदवारों को जितवाया।
जब महाराष्ट्र में शिंदे के साथ मिलकर बीजेपी ने सरकार बनाई, इस दौरान देवेंद्र फडणवीस की लोगों ने खूब तारीफ की और कहा गया कि फडणवीस ने ही पूरी बाजी को पलटा। वहीं अब बीजेपी ने एनसीपी को भी तोड़ दिया है और 30 से अधिक विधायकों के साथ अजित पवार, शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। इस बड़े घटनाक्रम के पीछे भी फडणवीस की चाल मानी जा रही है। बताया जाता है कि देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार और एकनाथ शिंदे के साथ 29 जून की रात गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और इसी में सब कुछ तय हो गया था।
2014 के बाद से ही देवेंद्र फडणवीस ने शरद पवार को हमेशा निशाने पर लिया। माना जाता है कि जिस तरीके से देवेंद्र फडणवीस ने शरद पवार पर निशाना साधा, उस तरीके से आज तक महाराष्ट्र में किसी भी नेता ने उनको निशाने पर नहीं लिया और शरद पवार असहज हो गए। अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच हमेशा अच्छे संबंध रहे, लेकिन वह शरद पवार को हमेशा निशाने पर लेते हैं। माना जाता है कि शरद पवार भी बीजेपी के साथ सरकार बनाने के पक्ष में थे लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस मंजूर नहीं थे।
अब जब महाराष्ट्र में बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई और लोकसभा चुनाव से पहले फिर से बीजेपी बढ़त हासिल करती दिख रही है, एक बार फिर सबके सामने एक ही प्रश्न खड़ा हो रहा है कि क्या फडणवीस ही महाराष्ट्र की सियासत के सबसे बड़े विजेता हैं।