प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की पहल से हज यात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि बड़ी संख्या में महिलाओं ने बिना किसी मेहरम यानी कि रक्त संबंध के किसी पुरुष साथी को अभिभावक के तौर पर ले जाए बगैर हज जाने के लिए आवेदन किया है। इन महिलाओं की संख्या 4314 है। इस साल मंत्रालय को कोविड-19 की महामारी के बाद बड़ी भारी संख्या में आवेदन मिले हैं। बुधवार की सुबह दिल्ली हवाई अड्डे पर हज से लौट रही एक महिला का दिल्ली हज कमेटी की प्रमुख कौसर जहां ने खुद जाकर स्वागत किया।
बताते चलें कि कईं वर्षों से सऊदी के कानून में हज और उमराह पर जाने के लिए महिलाएं, पुरुष रिश्तेदारों (जैसे पति और पिता) के साथ जाया करती थीं। हालांकि सऊदी अरब ने अक्टूबर 2022 में इस कानून को हटा लिया, जिससे 45 वर्ष से अधिक उम्र की मुस्लिम महिलाओं को अकेले यात्रा करने की अनुमति मिल गई। इस पहल को इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया।
एयरपोर्ट पर यात्रियों के आसानी से निकलने के लिए ज्यादा चेक पॉइंट्स बनाये जाने का अनुरोध किया गया है। हज यात्रियों के लिए अलग पास वे बनाकर उनका सुरक्षित निकास सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।
22 मई को पहली फ्लाइट में 381 यात्रियों के जाने की व्यवस्था की गई है। उसके बाद क्रमानुसार अन्य उड़ानों के जरिये हज यात्रियों को हज यात्रा के लिए भेजा जाएगा। 3 जुलाई से 22 जुलाई को हज यात्रियों की वापसी का कार्यक्रम रहेगा।