मणिपुर में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और उन्हे निर्वस्त्र घुमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। उससे पहले केंद्र सरकार ने गुरुवार को हलफनामा दायर कर बताया कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। शीर्ष अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि उन्होंने मामले में क्या कार्रवाई की है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध पर जीरो टॉलरेंस
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार का दृष्टिकोण महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस का है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और मणिपुर सरकार को तत्काल उपचारात्मक, पुनर्वास और निवारक कदम उठाने और की गई कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया था।
सीबीआई को सौंपी गई जांच
गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के माध्यम से दायर एक हलफनामे में शीर्ष अदालत से उस मामले में मुकदमे को मणिपुर के बाहर स्थानांतरित करने का भी आग्रह किया, जिसमें अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
दोनो समुदायों के संपर्क में सरकार
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने के साथ-साथ गृह मंत्रालय ने राज्य में शांति बहाली की कोशिश भी तेज कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह मैतेई और कुकी समुदाय दोनों के शीर्ष प्रतिनिधियों के संपर्क में हैं। ये कोशिश की जा रही है कि दोनों समुदायों को बातचीत की मेज पर लाया जाए। हालांकि दोनों समुदायों के बीच सुलह पर राय बंटी हुई है, लेकिन सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही बातचीत में कोई सफलता मिलेगी।
पिछले सप्ताह मणिपुर का वायरल वीडियो सामने आया था। शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को घटना पर ध्यान दिया और कहा था कि वह वीडियो से परेशान है। हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल ‘संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य’ है।