प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर नई दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडमप में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने युवाओं के बारे में बात करते हुए कहा की युवाओं को उनकी प्रतिभा के बजाय उनकी भाषा के आधार पर आंकना उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है।
10+2 की जगह नया सिस्टम
पीएम मोदी ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पारंपरिक ज्ञान प्रणाली से लेकर भविष्य की तकनीक तक को संतुलित तरीके से महत्व दिया है। रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए हमारे देश के शिक्षाविदों ने बहुत मेहनत की है। हमारे विद्यार्थी नई व्यवस्थाओं से भली-भांति परिचित हैं। वे जान गए हैं कि 10+2 एजुकेशन सिस्टम की जगह, 5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली लाई जा रही है। पढ़ाई की शुरुआत 3 साल की उम्र से शुरू होगी। इससे देश में एकरुपता आएगी।
अपनी भाषा को हमने पिछड़ेपन के तौर पर दिखाया
पीएम मोदी ने कहा, युवाओं की उनकी प्रतिभा के बजाय उनकी भाषा के आधार पर जज किया जाना, उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है। अपनी मातृभाषा में पढ़ाई होने से अब भारत के युवाओं के टैलेंट के साथ अब असली न्याय की शुरुआत होने जा रही है। ये सामाजिक न्याय का भी अहम कदम है।
पीएम मोदी ने कहा, दुनिया के ज्यादातर विकसित देशों ने अपनी भाषा की बदौलत बढ़त हासिल की है। हमने अपनी भाषाओं को पिछड़ेपन के तौर पर पेश किया, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? कोई कितना भी इनोवेटिव माइंड क्यों न हो, वो अंग्रेजी न बोलना जानता हो, उसकी प्रतिभा को स्वीकार नहीं किया जाता था। इसका सबसे बड़ा नुकसान ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को उठाना पड़ता था।