प्रदीप भंडारी ने अपने सर्वे और जारी रिपोर्ट के आधार पर बताया कि I.N.D.I.A के सभी सहयोगी पार्टियों का वोट शेयर लगभग समान है। इस आधार पर ये कहना गलत नहीं होगा की आने वाले चुनाव में सीटों की संख्या भी पहले के संख्या के आसपास ही होगी।
उन्होंने बताया वर्तमान में संख्या देखें तो इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 सदस्य हैं, जबकि एनडीए गठबंधन के पास 332 सदस्य हैं। कांग्रेस बिहार और झारखंड सरकार में हिस्सेदार है। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर 19.5% था और 2019 के आम चुनावों में थोड़ा बढ़कर 19.7% हो गया।
बताते चलें कि यूपीए का गठन साल 2004 चुनाव के बाद हुआ था। तब कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी। 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 26.5 फीसदी वोट शेयर के साथ 145 सीटें मिली थीं और प्रतिद्वंदी बीजेपी को 22.2 फीसदी वोट शेयर के साथ 138 सीटें। वोट शेयर के नजरिए से देखें तो कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में 4.3 फीसदी अधिक वोट मिले थे। सीटों के लिहाज से भी कांग्रेस, बीजेपी से सात सीटें अधिक जीतने में सफल रही थी। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कांग्रेस ने 12 पार्टियों के साथ मिलकर यूपीए का गठन किया और डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई।
उन्होंने कहा अधिक सीटें जीतने के लिए, किसी पार्टी को केवल वोट शेयर में कुल मिलाकर बढ़ोत्तरी दर्ज़ करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन निर्वाचन क्षेत्रों में पर्याप्त वोट प्राप्त करने के बारे में अधिक व्यवस्थित रणनीति बनाना है जहां वे कम अंतर से हार गए हैं। अधिकांश पार्टियां इसके बारे में जानती हैं और इस बिंदु पर ध्यान देती हैं।