टॉप ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने गुरुवार को एशियाई उभरते बाजारों की अपनी सूची में भारत को नंबर एक बाजार के रूप में स्थान दिया।
कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात को पछाड़ते हुए, संरचनात्मक तेजी, धर्मनिरपेक्ष नेतृत्व और सापेक्ष मूल्यांकन की बदौलत भारत ने मॉर्गन स्टेनली की सूची में पांच स्थानों की छलांग लगाई।
दुनियाभर के बड़े इन्वेस्टर्स के लिए भारत सबसे बड़े बाजार के तौर पर उभरा है। अब वो चीन को भी आने वाले दिनों में पीछे छोड़ने की क्षमता रखता है। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैकिंग फर्म मॉर्गन स्टेनली ने अपनी इमर्जिंग मार्केट की लिस्ट में भारत को अपग्रेड किया है। जबकि चीन को उसने डाउनग्रेड कर दिया है। मार्गन स्टेनली ने भारत की रेटिंग को अपग्रेड करते हुए ओवरवेट कर दिया है। भारत अब सीधे पांच स्थान की छलांग लगाते हुए इमर्जिंग मार्केट की सूची में पहले स्थान पर आ चुका है।
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक पॉजिटिव डेमोग्राफी ट्रेंड के साथ भारत की प्रति व्यक्ति आय फिलहाल केवल 2500 डॉलर है जबकि चीन की 12,700 डॉलर है। मॉर्गन स्टेनली के एनालिस्ट ने कहा कि भारत लंबी अवधि में तेजी की शुरुआत की कगार पर खड़ा है। जबकि चीन में ये तेजी अब खत्म होने जा रही है।
मॉर्गन स्टेनली के एनालिस्ट के मुताबिक भारत हाउसहोल्ड कर्ज जीडीपी का 19 फीसदी है। जबकि चीन का 48 फीसदी है। साथ ही केवल 2 फीसदी भारतीय परिवार के पास ही लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध है। कोविड की बंदिशों के हटने के बाद भारत में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस पीएमआई में तेजी देखने को मिली है। जबकि चीन में तेजी के साथ गिरावट देखने को मिली है। भारत में रियल एस्टेट ट्रांजेक्शन में तेज उछाल देखने को मिला है।
मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि चीन का जीडीपी ग्रोथ रेट केवल 3.9 फीसदी रहने का अनुमान है वहीं भारत का जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रह सकता है। मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्री रिधम देसाई का मानना है कि भारत के मल्टी-ईयर बुल मार्केट में प्रवेश करने की तीन प्रमुख वजहें हैं जिसमें मैक्रो स्टैबिलिटी, शानदार ग्रोथ, जोखिम वाली पूंजी का घरेलू सोर्स शामिल है।