किसी मुद्दे पर जब विपक्ष की नाराजगी होती है तो लोकसभा सांसद नोटिस लेकर आता है। जैसे इस बार मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष नाराज है और वह लगातार सदन में प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है। सरकार को घेरने के लिए वह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने इसे स्वीकर भी कर लिया है और आज से बहस शुरू होनी है। अविश्वास पर चर्चा के लिए 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। गौरव गोगोई के नोटिस को 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। चर्चा के बाद इस पर वोटिंग की जाएगी।
संविधान के अनुच्छेद-75 के मुताबिक, सरकार यानी प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। लोकसभा में जनता के प्रतिनिधि बैठते हैं इसलिए सरकार को इसका विश्वास प्राप्त होना जरूरी है। ऐसे में अगर किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है।
आजादी के बाद से अब तक 27 बार केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, लेकिन सिर्फ एक बार ही पास हुआ. जुलाई 1979 में पीएम मोरारजी देसाई ने वोटिंग से पहले इस्तीफा दे दिया था, जिस वजह से उनकी सरकार गिर गई।
आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को आया था। 23 बार कांग्रेस पार्टी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। हालांकि 10 साल पीएम रहे मनमोहन सिंह के खिलाफ एक बार भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया। इसके अलावा, 2 बार जनता पार्टी जबकि 2 बार बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास लाया गया।
बताते चलें कि लोकसभा में कुल 538 सीटें हैं। बहुमत का आंकड़ा 270 है, जबकि अकेली बीजेपी के पास 301 सीटें हैं। एनडीए के सहयोगियों का कुल आंकड़ा 30 है और इसमें बीजेपी की 301 सीटों को जोड़ दिया जाए तो एनडीए के पास संख्या बल 331 हो जाता है।
वहीं कांग्रेस के पास 50 लोकसभा सीट हैं, डीएमके 24, टीएमसी 23, जेडीयू 16 सीटें है, और सहयोगी पार्टियां का कुल सीटों को जोड़ें तो कुल 144 सीटें होती हैं।