केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 13,000 करोड़ रुपये की विश्वकर्मा योजना को मंजूरी दे दी, जो पारंपरिक कौशल में लगे लोगों को समर्थन देने की एक महत्वाकांक्षी योजना है। योजना के तहत शिल्पकारों को 5% की रियायती ब्याज दर पर 2 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा।
योजना की घोषणा करते हुए, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विश्वकर्मा योजना से बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई सहित 30 लाख कारीगर परिवारों को लाभ होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। पीएम मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषणा की थी कि यह योजना 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि “आने वाले दिनों में, हम विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर एक योजना शुरू करेंगे, जिससे ओबीसी समुदाय, विशेष रूप से पारंपरिक शिल्प कौशल में कुशल व्यक्तियों को लाभ होगा।”
उन्होंने कहा, “बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों, नाई और ऐसे ही पारंपरिक कौशल में कुशल परिवारों को ‘विश्वकर्मा योजना’ के माध्यम से सशक्त बनाया जाएगा। यह योजना लगभग 13,000-15,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ शुरू होगी।”
स्किल प्रोग्राम
योजना के तहत कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी। उन्हें 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की ऋण सहायता प्रदान की जाएगी।
मंत्रालय की तरफ से एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, कारीगरों और शिल्पकारों को स्किल अपग्रेडेशन, टूल किट इंसेंटिव, डिजिटल लेनदेन के लिए इंसेंटिव और मार्केटिंग सहायता भी प्रदान की।”
“योजना के तहत, बेसिक और एडवांस दो प्रकार के कौशल कार्यक्रम होंगे। कौशल प्रशिक्षण के दौरान लाभार्थियों को प्रति दिन 500 रुपये का वजीफा भी प्रदान किया जाएगा। साथ ही उन्हें आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15,000 रुपये तक की सहायता भी मिलेगी।”