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चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 में क्या अंतर है? जानिए

साल 2019 में चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर भेजा गया लेकिन ये मिशन सफल नहीं हो पाया। तीन साल बाद एक बार फिर इसरो ने चंद्रमा पर अपना मिशन भेजा। बस कुछ ही घंटों का समय है, फिर हमारा हिन्दुस्तान चांद पर होगा। लैंडिंग से पहले चंद्रयान-3 के लैंडर से चंद्रयान-2 के ऑर्बिट के बीच संपर्क स्थापित हुआ। अब इसरो को इससे कई फायदे होंगे।

चन्द्रयान-3 में दो लैंडर खतरे का पता लगाने और बचाव वाले कैमरे मिलेंगे। चंद्रयान-2 केवल एक ही ऐसा कैमरा था, और चंद्रयान-3 के कैमरे अपने इसकी तुलना में अधिक मजबूत होने के लिए डिजाइन किए गए हैं। अंतरिक्ष संगठन ने पैरों की मजबूती सुनिश्चित करने के लिए चंद्रयान-3 पर लैंडर लेग मैकेनिज्म परफॉर्मेंस टेस्ट भी किया है।

बताते चलें कि चंद्रयान-2 के तीन घटक थे- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर लेकिन चंद्रयान-3 के घटक में बस एक बदलाव है। तीसरे मून मिशन में ऑर्बिटर की जगह प्रोप्लशन मॉड्यूलर को जोड़ा गया है। चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 48 दिनों में लैंड किया था। वहीं चंद्रयान-3, 42 दिनों में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा।

इसरो ने चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के लिए पिछले मून मिशन से कई सबक हासिल किए हैं। इंडियन स्पेस एजेंसी ने चंद्रयान 2 की गलतियों को सुधारकर तीसरा मून मिशन भेजा है।

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Chandan Kumar Pandey
Chandan Kumar Pandeyhttp://jankibaat.com
Chandan Pandey has 5 year+ experience in journalism field. Visit his twitter account @Realchandan21

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