23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर उतर कर इतिहास रच दिया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया है। चंद्रमा पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर ने बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह पर घूमकर शोध और जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है।
प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा की सतह पर 14 दिनों तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह चंद्रमा की सतह पर 5 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। प्रज्ञान रोवर का उपयोग चंद्रमा की सतह की संरचना, रसायन विज्ञान और भूविज्ञान का अध्ययन करने के लिए किया जा रहा है। यह चंद्रमा पर पानी की संभावना का भी पता लगाने में मददगार साबित होगा।
प्रज्ञान रोवर में ऐसे कई उपकरण लगे हुए हैं जो चांद पर प्लाज्मा, सतह पर भूकंप और इसकी गर्मी और चांद के डायनेमिक्स की स्टडी करेंगे। विक्रम लैंडर का नाम भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम को आगे बढ़ाने वाले महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम ए साराभाई के सम्मान में उनके नाम पर रखा गया है। चार पैरो वाला विक्रम लैंडर का कुल वजन 1749.86 किलोग्राम का था, जिसे इसरो ने अपनी काबिलियत के दम पर सफलता पूर्वक लैंड करा दिया है और अब रोवर चांद की जमीन पर बाहर निकल कर अपना काम शुरू कर चुका है।
लैंडर विक्रम के अंदर ही प्रज्ञान रोवर को छुपा कर रखा गया था, जो लैंडर के चंद्रमा के सतह पर लैंड होने के करीब 15 से 30 मिनट के बाद बाहर निकला और चंद्रमा की सतह पर कई वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने में जुटा है। रोवर प्रज्ञान का वजन कुल मिलाकर 26 किलोग्राम का है। छह पहिये वाला रोवर चंद्रयान-3 मिशन का हेड यानी कम्युनिकेशन-इन-चीफ है, जो इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा चंद्रमा पर की गई खोज को प्रज्ञान ही धरती तक भेजेगा।