बुधवार 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारत ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग हुई है। ऐसा करने वाला भारत पूरे विश्व में पहला और अभी तक का इकलौता देश बन गया है। अब दुनिया को भारत ही पृथ्वी की बनावट से लेकर सौर परिवार के बारे में छिपे हुए रहस्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से बताएगा।
40 दिन पहले 14 जुलाई को चंद्रयान-3 भारत की 140 करोड़ उम्मीदों के साथ चंद्रमा की तरफ बढ़ा था, 41वें दिन उसने पहुंचकर मैसेज भेज दिया है। भारत वालो, मैं अपनी मंजिल तक पहुंच गया हूं और हर भारतवासी भी। चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद अब प्रज्ञान रोवर ने अपना काम करना शुरू कर दिया है। प्रज्ञान रोवर ने तस्वीरें लेना शुरू कर दिया है। देश के सामने पहली तस्वीर आ गई है। गुरुवार सुबह इसरो ने गुड न्यूज दी और बताया कि लैंडर प्रज्ञान रोवर नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर करना शुरू कर दिया है। यानी अब अगले 14 दिन तक प्रज्ञान के जरिए चंद्रमा के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी।
तस्वीर को लैंडिंग इमेजर कैमरे से लिया गया है। इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा दिख रहा है। लैंडर का एक पैर के साथ उसकी परछाई भी दिख रही है। तस्वीर में यह भी देखा जा सकता है कि चंद्रयान-3 जिस जगह पर लैंड हुआ है, वो समतल है। इसरो ने यह भी कहा कि लैंडर और यहां अंतरिक्ष एजेंसी के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) के बीच एक कम्युनिकेशन लिंक स्थापित किया गया है। सुरक्षित टचडाउन सुनिश्चित करने के लिए लैंडर में कई सेंसर हैं, जिनमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने और स्टेटस संबंधी जानकारी के लिए कैमरों का एक सूट शामिल है। अब देश को उस पल का इंतजार है, जब प्रज्ञान रोवर चांद के बारे में पुख्ता जानकारी देगा।
कैसे काम करेगा रोवर प्रज्ञान?
रोवर ‘प्रज्ञान’ 6 पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल है, जो चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें खींचेगा। प्रज्ञान के पहियों में इसरो का लोगो और भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ बना हुआ है। वैज्ञानिकों की कोशिश रहेगी कि वो रोवर के जरिए चांद से भेजे जा रहे डेटा को देखें और एनालिसिस कर पाएं। चांद पर लैंडिंग के 4 घंटे बाद ‘प्रज्ञान’ विक्रम लैंडर से बाहर निकला। बता दें कि रोवर ‘प्रज्ञान’ चांद पर एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड की गति से आगे बढ़ेगा। वहां कैमरों की मदद से चांद पर मौजूद चीजों की स्कैनिंग करेगा और जानकारी जुटाएगा। प्रज्ञान मौसम का हाल पता करेगा। रोवर में इस तरह के पेलोड लगाए गए हैं, जो चांद की सतह के बारे में बेहतर ढंग से जानकारी दे सकेंगे। रोवर वहां इयॉन्स और इलेक्ट्रॉन्स की मात्रा के बारे में भी जानकारी देगा।
चांद पर जुटाएगा पानी-मिट्टी की जानकारी
चंद्रयान-3 चांद पर एक लूनर मतलब 14 दिन रहकर काम करेगा। दरअसल, धरती के 14 दिन के बराबर चांद का एक दिन होता है। यानी 14 दिन डे टाइम रहता है और 14 दिन रात रहती है। ऐसे में प्रज्ञान सिर्फ एक लूनर डे तक एक्टिव रहेगा। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की वजह से उसे फिर से रिचार्ज किए जाने की उम्मीद कम जताई जा रही है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रज्ञान और विक्रम एक अतिरिक्त लूनर डे तक काम कर सकते हैं। वहां उन्हें सूरज से मदद मिलेगी, जिसकी वजह से वे खुद को रिचार्ज कर सकते हैं। लैंडर और रोवर दोनों सोलर पावर से काम करते हैं। इस दौरान रोवर प्रज्ञान वहां पानी की खोज, खनिज की जानकारी और भूकंप, गर्मी और मिट्टी की स्टडी करेगा।
वैज्ञानिकों तक कैसे आएंगी जानकारियां?
चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को इसरो के मिशन का आधा हिस्सा माना जा रहा है। चूंकि, अब असली चैलेंज चांद के बारे में पुख्ता डेटा एकत्रित करना है। लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान मून वॉक पर निकल गया है। लेकिन उसे चांद तक पहुंचाने वाला विक्रम का काम पूरा नहीं हुआ है। चूंकि, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के पास सिर्फ 14 दिन हैं। ये चांद का एक दिन है, उसके बाद रात शुरू हो जाएगी। ऐसे में उन्हें दिन की रोशनी में ही सारा डेटा जुटाना होगा। विक्रम लैंडर ने जहां लैंड किया है वो वहां से नहीं हिलेगा। जबकि रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम से अलग होकर आगे की तरफ बढ़ेगा और जहां-जहां से गुजरेगा, वहां का डेटा इकट्ठा करके लैंडर को ही बताएगा। मतलब दोनों आपस में बात करेंगे। उसके बाद विक्रम ही सारा डेटा पृथ्वी पर इसरो को भेजेगा।
चांद पर भारत की छाप छोड़ेगा प्रज्ञान
इतना ही नहीं, जब रोवर प्रज्ञान जानकारी जुटाने के लिए चांद की सतह पर आगे बढ़ेगा तो वहां पर अशोक स्तंभ और इसरो का लोगो छोड़ता जाएगा। यानी चांद पर भारत की अमिट छाप भी देखने को मिलेगी। इसका गहरा महत्व माना जा रहा है। यह साइंस सेक्टर में प्रगति और अंतरिक्ष अभियान के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह राष्ट्र की सरलता और तकनीकी कौशल बताता है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो सका है कि 14 दिन में प्रज्ञान चांद पर कितनी दूरी तय करेगा।