प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने संसद में अपने अंतिम संबोधन में कहा मुझे इस संसद में मुझे अपना पहला दिन याद है। उन्होंने कहा जब मैं पहली बार यहां आया तो मैंने श्रद्धा से अपना सिर संसद के जमीन पर झुका कर प्रणाम किया था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिन यहां रहूंगा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि देश मुझे इतना प्यार और सम्मान देगा। वह पल मेरे लिए बहुत भावुक कर देने वाला था। यह हमारे लोकतंत्र की ताकत ही है कि एक गरीब आदमी का बेटा, जो कभी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर चाय बेचता था, वह संसद में है।
अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भले ही 19 सितंबर से आगामी सत्र नए भवन में आयोजित किए जाएंगे, लेकिन पुराना संसदीय भवन लाखों भारतीयों को प्रेरणा देता रहेगा।
लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा की हम सभी आज इस ऐतिहासिक इमारत को अलविदा ले रहे हैं। आजादी से पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल की जगह था। आजादी के बाद इसे संसद भवन की पहचान मिली। यह सच है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों ने लिया था, लेकिन हम कभी नहीं भूल सकते और गर्व से कह सकते हैं कि इसके निर्माण में जो मेहनत, मेहनत और पैसा लगा, वह मेरे देशवासियों का था।