कैश फॉर क्वेरी मामले में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। इस संबंध में लोकसभा से ध्वनिमत के साथ प्रस्ताव पारित हुआ। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी।
इस कार्यवाही का विरोध कर रहे सांसदों ने सदन में जमकर हंगामा किया। महुआ मोइत्रा के समर्थन में तमाम विपक्षी सांसद संसद भवन के बाहर आए। इसमें सोनिया गांधी भी शामिल थीं।
इससे पहले लोकसभा की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर आधे घंटे से अधिक चर्चा हुई। इस दौरान स्पीकर ओम बिरला ने मोइत्रा को बोलने का मौका नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मोइत्रा कमेटी के सामने अपनी बात रख चुकी हैं। वहीं विपक्षी सांसदों ने मोइत्रा को बोलने देने की मांग की।
सदन की गरिमा और मर्यादा कायम रखनी होगी – ओम बिरला
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा “सदन की गरिमा और मर्यादा को कायम रखने के लिए अगर कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत पड़ी तो वो हमे लेने पड़ेंगे”
महुआ मोइत्रा क्या बोलीं?
संसद सदस्यता रद्द होने पर मोइत्रा ने कहा कि मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था जिस वजह से मुझे संसद की सदस्यता से बर्खास्त किया गया है. एथिक्स कमिटी के सामने मेरे खिलाफ कोई भी मुद्दा नहीं था, कोई सबूत नहीं थे. बस उनके पास केवल एक ही मुद्दा था की मैंने अडाणी का मुद्दा उठाया था।
कांग्रेस का निशाना
कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ आचार समिति की रिपोर्ट पर शुक्रवार को लोकसभा में ‘आनन-फानन’ में चर्चा कराए जाने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि यह ‘प्राकृतिक न्याय’ के सिद्धांत का उल्लंघन है। यदि सदस्यों को रिपोर्ट पढ़ने के लिए तीन-चार दिन दे दिए गए होते तो ‘आसमान नहीं टूट पड़ता’।