सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था।
कोर्ट का मानना है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है। साथ ही आगे कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था और यह विघटन के लिए नहीं था, और राष्ट्रपति घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
Art 370 in J&K | Supreme Court Justice Sanjay Kishan Kaul in a separate but concurring judgement says Article 370 was meant to be temporary pic.twitter.com/0QlkYTleuj
— ANI (@ANI) December 11, 2023
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से लिए गए केंद्र के फ़ैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
बता दें कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने एक दलील ये दी थी कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र सरकार राज्य की तरफ से इतना अहम फैसला नहीं ले सकती है।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने साल 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। इसके बाद काफी विवाद हुआ था। बढ़ते विवाद के बीच राज्य के कई नेताओं को नजरबंद किया गया था। इस फैसले की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
जिस संविधान पीठ ने इस फैसले को सुनाया है उसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल है। संविधान पीठ ने 16 दिनों तक चली जिरह के बाद इसी साल पांच सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं।