अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होगा। इससे पहले इसकी तैयारियां जोरों पर है। देश की जनता राम मंदिर का श्रेय कोर्ट के साथ-साथ मोदी सरकार को भी देती है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में आने के बाद ही नहीं बल्कि पिछले 50 सालों से राम मंदिर आंदोलन को समर्थन दे रहे थे।
पीएम मोदी का शुरू से कहना था कि अयोध्या में ही राम मंदिर बनना चाहिए। 70 के दशक में नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के लिए काफी मेहनत की थी और इस दौरान उन्होंने शिलाएं जुटाई थी। वहीं 80 के दशक में प्रधानमंत्री मोदी ने राम भक्तों को एक होने के लिए प्रेरित किया था।
जब 90 का दशक आया और राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था, इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने प्राण ले लिया कि अब हम मंदिर उसी स्थान पर बना कर दम लेंगे। वहीं जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए, इसके बाद राम मंदिर की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में तेज गति से हुई और अब करोड़ हिंदू भक्तों का सपना साकार हो रहा है और अयोध्या में ही भव्य राम मंदिर का निर्माण हो चुका है। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेंगे।
मोदी ने लिया था संकल्प
यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि लंबे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री और उसके बाद देश के प्रधानमंत्री बनने के बावजूद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर की आधारशिला रखने से पहले तक नरेंद्र मोदी अयोध्या क्यों नहीं आए। इसके पीछे उनका एक 32 साल पुराना संकल्प है जो उन्होंने रामलला के दर्शन के दौरान वर्ष 1992 में लिया था।
एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार नरेंद्र मोदी रामलला के प्रकट उत्सव पर 14 जनवरी 1992 को बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या आए थे। उनसे पूछा गया कि अयोध्या दोबारा कब आएंगे। तब मोदी ने बड़े विश्वास से कहा था कि वो जन्मभूमि में राममंदिर बनने पर ही दोबारा अयोध्या आएंगे।