जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने चाय बिस्किट पत्रकारों को एक वीडियो विश्लेषण के माध्यम से पूरी तरह से एक्सपोज कर दिया है। उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसियों पर सवाल खड़े करने वालों की असली मंशा को उजागर कर दिया।
बताते चलें कि जांच एजेंसियों पर सरकार के इशारे पर काम करने के आरोप लगते रहे हैं, ऐसे में आपके लिए यूपीए और एनडीए सरकार के दौरान सीबीआई के एक्शन के आंकड़े देखना जरूरी है।
उन्ही यूपीए के 2004 से 2014 के 10 साल के शासनकाल में 72 नेताओं की जांच हुई। इनमें विपक्ष के 43 नेता थे, यानी 60 फीसदी। वहीं एनडीए के 2014 से 2022 तक के शासन में 124 नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने जांच की। इनमें 124 नेता विपक्ष के थे यानी 95 %