औषधि विभाग द्वारा जारी एक नोटिस के अनुसार, संचालन समिति ने पांच वर्षों की अवधि में इन केंद्रों की स्थापना के लिए 700 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय को मंजूरी दी है। 700 करोड़ रुपये में से 243 करोड़ रुपये की राशि 2024-25 के लिए स्वीकृत की गई है।
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत एक शीर्ष स्वायत्त संगठन, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, 24 जून, 2024 को पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान प्राथमिकता सेटिंग्स पर इंडिया हैबिटेट सेंटर नई दिल्ली में एक दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श बैठक आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
डब्ल्यूएचओ-एसईएआरओ और डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी के सहयोग से आयोजित होने वाला यह महत्वपूर्ण आयोजन, पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान को वैश्विक मानकों और प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करने में एक अग्रणी प्रयास को चिन्हित करता है।
बताते चलें कि अपनी तरह की यह पहली परामर्श बैठक, नीति निर्धारकों, शैक्षिक संस्थानों, शोधकर्ताओं, रोगियों और उद्योग हितधारकों सहित भारत में पारंपरिक चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर एक साथ लाएगी।
इसका उद्देश्य आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी जैसी विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में प्रमुख अनुसंधान क्षेत्रों की पहचान करना और उनको प्राथमिकता देना है। यह पहल पारंपरिक चिकित्सा में डब्ल्यूएचओ के मैनडेट के अनुसार है।