लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ योजना’ का जिक्र करते हुए दावा किया था कि सरकार अग्निवीरों को इस्तेमाल करके फेंक देने वाले मजदूर मानती है और उन्हें शहीद का दर्जा भी नहीं देती। इस पर रक्षा मंत्री ने कहा था कि कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान देने वाले अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिलता है।
Rahul Gandhi should first read and not spread misleading news.
Shaheed's father himself admits that he has got 48 lakh compensation from Army. Rest amount is insurance which takes some time.
Center doesn't pay seperately from Army.
The 1 crore amount is total of what Army pays… https://t.co/3YVYynKyM2 pic.twitter.com/CQmgK749kM
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) July 3, 2024
राहुल गांधी के दावों को गलत बताते हुए पिछले साल जान गंवाने वाले महाराष्ट्र के एक अग्निवीर के परिवार ने कहा है कि उन्हें सरकार से 1.08 करोड़ रुपये की सहायता मिली है। महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में पिंपलगांव सराय के मूल निवासी अग्निवीर अक्षय गवटे की 21 अक्तूबर, 2023 को सियाचिन में अपने कर्तव्य का निर्वहन करते मौत हो गई थी। अक्षय के पिता लक्ष्मण गवटे ने कहा कि अक्षय की मौत के बाद परिवार को बीमा कवर के रूप में 48 लाख रुपये, केंद्र सरकार से 50 लाख रुपये और राज्य सरकार से 10 लाख रुपए मिले।
सच्चाई यह है कि अगर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर शहीद होता है तो उसके परिवार को मुआवजे के रूप में 44 लाख रुपये मिलते हैं। जबकि परिवार को बीमा खबर के रूप में 48 लाख रुपये मिलते हैं। यह कुल राशि 92 लाख रुपये होती है। जबकि अग्निवीर का जितना कार्यकाल बचा है, उतनी पूरी सैलरी और बची हुई अन्य धनराशि भी मिलती है, जो 1 करोड़ के पार जाकर पहुंचती है। इसके अलावा राज्य सरकारी अलग से मुआवजे का ऐलान करती है और वह एक करोड़ से अलग है।