भारत ने अपनी पहली स्वदेशी मैग्नटिक रेसोनेंस इमेजिंग मशीन सिस्टम डेवलप कर लिया है। इस मशीन को जल्द ही एम्स दिल्ली में लगाया जाएगा और अक्टूबर से इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मशीन के आने से मरीजों के लिए MRI की कीमत करीब आधी हो सकती है। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास के अनुसार इस वक्त भारत में ज्यादातर हेल्थकेयर इक्विपमेंट और मशीनें विदेशों से इंपोर्ट की जाती हैं।
भारत में साल 2023-24 में करीब 68885 करोड़ रुपये की मेडिकल डिवाइस इंपोर्ट की गई थीं। करीब 70 फीसदी मेडिकल उपकरण विदेशों से इंपोर्ट किए जाते हैं, जिसके कारण इनका लागत काफी बढ़ जाती है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है और एमआरआई समेत कई तरह की इमेजिंग के लिए काफी खर्च करना पड़ता है। अगर देश की पहली स्वदेशी मशीन क्लीनिकल ह्यूमन ट्रायल में सफल हो जाती है, तो उम्मीद है कि एमआरआई के खर्च में काफी कटौती हो जाएगी और लोगों को फायदा मिल सकेगा।
डॉक्टर के मुताबिक MRI का उपयोग तब किया जाता है, जब किसी मरीज के इंटरनल ऑर्गन या टिश्यूज की कंडीशन का सटीक आकलन करना होता है। जब कोई बीमारी, चोट या अन्य शारीरिक समस्याएं हों, तब MRI कराई जाती है। यह तकनीक विशेष रूप से ब्रेन, स्पाइन, जॉइंट, हार्ट और अन्य इंटरनल ऑर्गन्स के लिए महत्वपूर्ण होती है।