म्यांमार में 28 मार्च को दोपहर में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद बचाव कार्य जारी हैं। इस भूकंप में कम से कम 1,700 लोगों की मौत हो गई है और व्यापक पैमाने पर विनाश हुआ है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप का असर बैंकॉक और चीनी प्रांतों तक महसूस किया गया तथा कई लोग घायल हो गए या मलबे में फंस गए। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने सोमवार को बताया कि भारत की राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) टीम ने म्यांमार के मांडला स्थित उहला थीन मठ में ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत बचाव अभियान शुरू कर दिया है, जहां लगभग 170 भिक्षु अभी भी फंसे हुए हैं।
भारतीय सेना की टीम सोमवार को अस्पताल का दौरा करेगी और मंगलवार को अपनी चिकित्सा सेवाएं स्थापित करेगी। विदेश मंत्रालय के अनुसार, एनडीआरएफ स्काई विला में भी टीम तैनात करने का प्रयास कर रहा है, जहां 11-11 मंजिलों वाले चार टावर ढह गए हैं। टावरों में कई विदेशी लोग हैं। इसके अलावा, राहत सामग्री (कल पहुंचने वाली) राज्य महानायक समिति (म्यांमार में समिति की दूसरी सबसे बड़ी समिति) के महासचिव को भी दी जाएगी, जहां मठ के बाहर लगभग 2,000 भिक्षु बैठे हैं। भिक्षुओं को कोई चोट नहीं आई है, लेकिन उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है और न ही उनके पास कोई बुनियादी सुविधाएं हैं।
2 सी-130 विमानों से टीम को हिंडन एयरबेस भेजा गया। टीम के साथ 60 बेड का अस्पताल, एक्सरे और जांच मशीन भी शामिल हैं। जवानों को भेजने के लिए गाजियाबाद स्थित पासपोर्ट कार्यालय से पासपोर्ट बनवाए गए। शनिवार को पासपोर्ट मिलने पर टीम को रवाना किया गया। इसमें 35 टन राहत सामग्री भी थी। सी 130 विमान में दो टीम के 80 जवान रहे। राहत बचाव कार्य के लिए गई टीम को विशेष जांच उपकरण के साथ ही अन्य सामान भी दिया गया है। इनमें बेड, टेंट, कंबल, सोलर लैंप, हाईजीन किट, खाने के पैकेट, किचन सेट, जेनरेटर सेट के साथ ही एंटीबायोटिक और सामान्य दवाओं की किट भी दी गई है।