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मोदी सरकार की नीतियों का असर, 5 साल बाद खुदरा महंगाई दर निचले स्तर पर; खाने-पीने की चीजें हुईं सस्ती

खाने-पीने की चीजों और सब्जियों की कीमतों में आई नरमी से मार्च 2025 में महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों के साथ केंद्र सरकार को भी बड़ी राहत मिली। खुदरा महंगाई मार्च में 67 महीने यानी अगस्त 2019 के बाद सबसे कम तेजी से बढ़ी। जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में भारत की खुदरा महंगाई सालाना आधार पर 3.34 प्रतिशत बढ़ी, जो फरवरी में 3.61 प्रतिशत बढ़ी थी। खुदरा महंगाई में राहत मिलने के साथ होलसेल प्राइस इंडेक्स पर आधारित थोक महंगाई दर भी मार्च में घटकर 2.05 प्रतिशत पर आ गई, जो फरवरी में 2.38 प्रतिशत थी।

खुदरा के साथ खाद्य महंगाई बढऩे की रफ्तार भी मार्च में सुस्त हुई। सालाना आधार पर खुदरा बाजार में फूड प्रोडक्ट्स की कीमतें मार्च 2024 के मुकाबले मार्च 2025 में 2.69 प्रतिशत बढ़ी। वहीं होलसेल में खाद्य पदार्थों की कीमत में केवल 1.57 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इससे खुदरा महंगाई न केवल आरबीआई के 2-6 प्रतिशत टॉलरेंस बैंड के भीतर है, बल्कि यह लगातार दूसरे महीने 4 प्रतिशत से कम रही, जिससे जून में भी आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई है। अगर दरों में कटौती होती है तो इससेे भारतीय अर्थव्यवस्ता को बूस्ट मिलेगा और कर्ज सस्ता होने के साथ लोगों की ईएमआई भी घट जाएगी।

खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2021 के बाद इस मार्च सबसे कम तेजी से बढ़ी है। सब्जियों और प्रोटीन वाले उत्पादों की कीमतों में गिरावट से खाद्य महंगाई दर मार्च में 2.69 प्रतिशत रही। वहीं खाद्य पदार्थों की कीमतों में धीमी गति से वृद्धि के कारण भारत की थोक महंगाई मार्च में चार महीने के निचले स्तर पर आ गई। हालांकि, विनिर्मित उत्पादों की थोक महंगाई मार्च में बढक़र 3.07 प्रतिशत हो गई, जबकि फरवरी में यह 2.86 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली में भी वृद्धि देखी गई और मार्च में थोक मुद्रास्फीति दर 0.20 प्रतिशत रही, जबकि फरवरी में यह -0.71 प्रतिशत थी।

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